नयी दिल्ली । उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को मंगलवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग के प्रतिबंध मामले में हस्तक्षेप करने से फिलहाल इन्कार कर दिया।
जाति, धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग संबंधी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मायावती ने आयोग की ओर से उनके उपर लगाये गये कल के प्रतिबंध मामले में न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की।
मायावती की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख करते हुए त्वरित हस्तक्षेप का उससे अनुरोध किया। दवे ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ प्रतिबंध कठोर है और इससे उनके (सुश्री मायावती के) निर्धारित चुनाव कार्यक्रम प्रभावित होंगे।
दवे ने आज ही मामले की सुनवाई का अनुरोध न्यायालय से किया, लेकिन मुख्य न्यायाधीश उनकी दलीलों से संतुष्ट नजर नहीं आये और उन्होंने सुश्री मायावती को प्रतिबंध के खिलाफ अलग से याचिका दायर करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि आयोग ने नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मायावती के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने पर 48 घंटे और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे के लिए रोक लगा दी है।
न्यायालय एक प्रवासी भारतीय हरप्रीत मनसुखानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था और इसी दौरान बसपा प्रमुख ने हस्तक्षेप की मांग की। मनसुखानी ने राजनीतिक अभियानों में जाति और धर्म को घसीटने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने का याचिका में अनुरोध किया है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान न्यायालय ने विभिन्न नेताओं को नफरत फैलाने वाले बयान के कारण प्रतिबंधित किये जाने के आयोग के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि आयोग को शायद अपने अधिकार का भान हो गया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, लगता है कि चुनाव आयोग को अपने अधिकारों का ज्ञान हो गया है।” इस पर चुनाव आयोग की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमन सुन्दरम ने कहा, “हमें ज्ञात हुआ कि हमारे पास अधिकार मौजूद हैं।”
शीर्ष अदालत ने आयोग के प्रतिबंध आदेश की पृष्ठभूमि में कहा कि फिलहाल इस मामले में कोई आदेश की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता को हालांकि इस बात की छूट दी जाती है कि बाद में आवश्यकता पड़ने पर वह याचिका दायर करे। उल्लेखनीय है कि आयोग ने कल राजनीतिक दलों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में अपनी विवशता जाहिर करते हुए कहा था कि उसके पास बहुत ज्यादा अधिकार मौजूद नहीं है। तब न्यायालय ने कहा था कि वह मंगलवार को इस बात की समीक्षा करेगा कि आयोग के पास कितने अधिकार हैं।