नई दिल्ली। देश को दहला देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवम् हत्या मामले के गुनाहगार मुकेश के भाई सुरेश की ओर से उच्चतम न्यायालय में गत छह मार्च को दायर याचिका सोमवार को खारिज हो गई।
उच्चतम न्यायालय ने सुरेश की ओर से वकील एम. एल. शर्मा की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस याचिका में ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिसपर विचार किया जाए।
शर्मा ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि इस मुकदमे में मुकेश के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त वकील वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डाल कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई थी।
शर्मा के मुताबिक क्यूरेटिव पेटिशन दायर करने की समय सीमा तीन साल थी, जिसकी जानकारी मुकेश को नहीं दी गयी थी। इसलिए मुकेश को नए सिरे से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका दिया जाए। लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि एक वकील पर उनका आरोप आपत्तिजनक है और याचिका को ख़ारिज किया जाता है।
शर्मा ने याचिका वापस लेने देने की अनुमति न्यायालय से मांगी, जिसे उसने मंजूर कर लिया। पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के गुनहगारों के लिए 20 मार्च सुबह 5:30 बजे फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया है।