नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा नदी में बहाए गए शवों के मद्देनजर मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने संबंधी एक याचिका सोमवार को खारिज कर याचिकाकर्ता को मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता को एनएचआरसी से संपर्क करने की छूट देते हुए, न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत की खंडपीठ ने कहा कि आप कितने मंचों पर संपर्क कर सकते हैं? यह एक गंभीर समस्या है… हम जानते हैं। सौभाग्य से अभी स्थिति वैसी नहीं है। आपने एनएचआरसी की सिफारिशों का हवाला दिया है… एनएचआरसी जाइए।
गैर सरकारी संगठन ट्रस्ट डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव द्वारा दायर याचिका में यह भी मांग की गई है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अंतिम संस्कार, दफन और एम्बुलेंस सेवाओं के लिए दरें निर्धारित की हैं और अधिक शुल्क लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वे संतुष्ट नहीं थे।
याचिका में कहा गया है कि उन्होंने मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीतियां बनाने में मदद के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कोविड-19 से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए अधिक शुल्क लेने के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल थी।