नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मुहर्रम के जुलूसों के लिए अनुमति देने से गुरुवार को इनकार कर दिया और कहा कि इससे अराजकता फैलेगी तथा एक विशेष समुदाय को लक्ष्य बनाने को बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शिया नेता सैयद कल्बे जव्वाद की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि हम कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते। हम याचिका पर विचार नहीं करना चाहते।
दरअसल इस याचिका में 30 अगस्त को मुहर्रम के मौके पर जुलूस निकालने के लिए मुसलमानों के शिया संप्रदाय के लिए अनुमति मांगी गई थी। जब याचिकाकर्ता ने पुरी रथ यात्रा की अनुमति का हवाला दिया, तो शीर्ष अदालत ने कहा कि यह यात्रा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक एक ही स्थान पर थी। न्यायालय ने कहा कि लेकिन आप पूरे भारत के लिए अनुमति मांग रहे हैं।
न्यायालय ने कहा कि इस गंभीर कोरोना महामारी के दौरान मोहर्रम के जुलूसों को निकालने से अनावश्यक रूप से संप्रदाय का नाम खराब होगा। याचिकाकर्ता ने जब अनुरोध किया कि चूंकि शिया लखनऊ में केंद्रित हैं, इसलिए वहां अनुमति दी जाए तो शीर्ष अदालत ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा।