नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ के बदले फिजिकल डिस्टेंसिंग जैसे शब्द के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली याचिका सुनने से शुक्रवार को इन्कार कर दिया और गहरी नाराजगी जताते हुए याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने शकील कुरैशी की याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर इस प्रकार की याचिका दायर करने के लिए 10 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया।
याचिकाकर्ता शकील कुरैशी का कहना था कि सोशल डिस्टेंसिंग शब्द अल्पसंख्यकों से भेदभाव करने वाला है। कुरैशी के वकील एसबी देशमुख ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश और कुछ राज्य सोशल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका हिंदी में अर्थ सामाजिक दूरी होता है। उन्हें फिजिकल डिस्टेंसिंग या शारीरिक दूरी शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। न्यायमूर्ति भूषण ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम यह याचिका खारिज करते हैं और आप पर 10 हजार रुपए जुर्माना भी लगाते हैं।
लॉकडाउन : सेना तैनाती संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
सुप्रीमकोर्ट ने देश में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के लिए सेना बुलाने की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने मुंबई निवासी कमलाकर शेनॉय की याचिका वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये की गई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान खारिज की। न्यायमूर्ति भूषण ने याचिकाकर्ता से कहा कि यह सरकार पर छोड़ दीजिए कि सेना कहां भेजनी है और कहां नहीं?
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