नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर पूूरे देश मेंं उपभोक्ताओं को असीमित मुफ्त फोनकॉल, डाटा, मुफ्त डीटीएच सेवा आदि मुहैया कराने संबंधी याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति एनवी रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये की गयी सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनोहर प्रताप को इस तरह की याचिका दायर करने के लिए फटकार भी लगाई। न्यायालय ने कहा कि अब क्या वह (अधिवक्ता) ऐसी याचिकाएं भी फाइल करेंगे?
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि हम ऐसी याचिकाओं में हस्तक्षेप नहीं करते। न्यायालय की फटकार के बाद प्रताप ने अपनी याचिका वापस लेने की खंडपीठ से अनुमति मांगी, जिसे उसने मंजूर कर लिया।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं को ‘मनोवैज्ञानिक दबाव’ से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें असीमित मुफ्त फोनकॉल, डाटा का इस्तेमाल और डीटीएच सुविधा प्रदान कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय के अलावा देश की लगभग सभी प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटरों और डीटीएच सेवा प्रोवाइडरों को प्रतिवादी बनाते हुए इस बाबत उचित कदम उठाने के निर्देश का अनुरोध न्यायालय से किया था।
याचिका में कहा गया था कि फोन पर लंबी-लंबी बातें करके, वीडियो चैट या डीटीएच प्लेटफॉर्म पर टीवी चैनल देखकर मनोरंजन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक दबाव कम करने में मदद मिलेगी।
याचिका में दावा किया गया था कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने लोगों को जीवित रहने के लिए भोजन, आवास और दूसरी सुविधायें मुहैया कराने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, लेकिन दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
याचिका में कहा गया था कि असीमित मुफ्त ऑडियो और वीडियो संचार सुविधा रास्ते में फंसे लोगों को अपने परिवारों से संपर्क करने और मौजूदा स्थिति से निबटने में मददगार होगी।
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