नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली फुटबॉल क्लब की एक याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफ़ुल पटेल को अखिल भारतीय फ़ुटबॉल महासंघ से बाहर का रास्ता दिखाया और उनके स्थान पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक तीन-सदस्यीय प्रशासकों की समिति को नियुक्त कर दिया।
12 वर्षों में फैला हुआ पटेल का कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त हो गया था, जिसपर दिल्ली फुटबॉल क्लब ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि प्रफुल्ल पटेल बतौर अध्यक्ष और उनकी समिति अवैध रूप से एक दशक से ज्यादा समय से एआईएफ़एफ़ में बनी हुई है।
इसपर अपना फ़ैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने प्रफुल् पटेल और उनकी समिति को हटाकर उनके स्थान पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक तीन-सदस्यीय प्रशासकों की समिति को नियुक्त किया। शीर्ष अदालत ने एआईएफ़एफ़ के संविधान को राष्ट्रीय खेल संहिता और मानक दिशानिर्देशों के अनुरूप करने का भी निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की एक पीठ ने कहा कि सीओए में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय फ़ुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली के रूप में दो पूर्व सदस्य भी मौजूद रहेंगे। आदेश के अनुसार सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एआर दवे फ़ुटबॉल महासंघ का कामकाज संभालेंगे।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय के वकील प्रशांत भूषण ने भी अदालत को बताया था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई न होने के कारण एक अवैध समिति एआईएफ़एफ़ का कार्यभार संभाल रही है। एआईएफ़एफ़ ने उच्चतम न्यायालय में लटकी हुई याचिकाओं का हवाला देते हुए 2017 के बाद से चुनाव नहीं कराए थे।