नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की सीमा पर जारी किसान आंदोलन को समाप्त करने की दिशा में केंद्र सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुका उच्चतम न्यायालय हालिया कृषि सुधार कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना आदेश सुनाएगा। न्यायालय ने कृषि कानूनों पर रोक के संकेत दिए हैं।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर देर शाम जारी पूरक कॉल लिस्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ कल ग्यारह बजे अपना आदेश सुनाएगी।
इस बीच केंद्र सरकार की ओर से देर शाम एक प्रारम्भिक हलफनामा दायर किया गया है जिसमें कहा गया है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की ओर से ऐसी अभिव्यक्ति की जा रही है कि संसद से विधेयक पारित होने से पहले केंद्र सरकार ने ये कानून बनाने के लिए किसी समिति से सम्पर्क नहीं किया था।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से 45 पन्नों का हलफनामा दायर किया गया है। इससे पहले न्यायालय ने केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत में प्रगति न होने पर सोमवार को गहरी नाराजगी जताते हुए केंद्र से पूछा कि क्यों न तीनों कानूनों पर रोक लगा दी जाये?
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों न तीनों कानूनों पर उस वक्त तक रोक लगा दी जाए, जब तक न्यायालय द्वारा गठित समिति इस मामले पर विचार न कर ले और अपनी रिपोर्ट न सौंप दे।
हालांकि एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कानूनों पर रोक की न्यायालय की सलाह का कड़ा विरोध किया। न्यायमूर्ति बोबडे ने पूछा कि आप हमें बताएं कि क्या आप किसान कानूनों पर रोक लगाते हैं या हम लगाएं। इन कानूनों को स्थगित कीजिए। इसमें क्या मसला है? हम इसे आसानी से रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि कानून को फिलहाल लागू न करें।
न्यायालय ने कहा कि कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली है, बूढ़े बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। आखिर हो क्या रहा है? आज तक एक भी याचिका ऐसी दायर नहीं हुई है जिसमें कहा गया हो कि कृषि कानून अच्छे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत पर कोई प्रगति नहीं होने पर चिंता जताते हुए कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई है, जबकि अगली बैठक 15 जनवरी के लिए निर्धारित है।
लंबी बहस के बाद एटर्नी जनरल ने हड़बड़ी में कोई आदेश पारित न करने खंडपीठ से अनुरोध किया, लेकिन न्यायमूर्ति बोबडे ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मिस्टर एटर्नी जनरल आप धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दें। हमें जल्दबाजी में क्यों न रोक लगानी चाहिए।
न्यायमूर्ति बोबडे ने सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि वह आज या कल मामले में अपना आदेश जारी करेंगे, लेकिन आज कोई आदेश जारी नहीं किया जा सका और देर शाम सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पूरक कॉल लिस्ट जारी की गई, जिसमें कल 11 बजे आदेश जारी करने की जानकारी दी गई है।