नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन मामले में महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय के सचिव को शुक्रवार को नोटिस जारी करके पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने अवमानना नोटिस उस वक्त जारी किया, जब उसे अर्णब की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अवगत कराया कि सचिवालय के सचिव ने गत 30 अक्टूबर को अर्णब को पत्र लिखकर कहा है कि उन्होंने गोपनीयता की शर्त का उल्लंघन किया है।
साल्वे के अनुसार महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय के सचिव की तरफ से लिखी चिठ्ठी में कहा गया था कि अर्णब को बताया गया था कि कार्यवाही गोपनीय है, लेकिन उन्होंने (अर्णब ने) बिना विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के उस बात की जानकारी शीर्ष अदालत को दे दी।
न्यायमूर्ति बोबडे ने सचिव के इस बात का संज्ञान लेते हुए पूछा कि संविधान का अनुच्छेद 32 किसलिए है? सचिव का यह पत्र एक नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन है, क्योंकि पत्र के जरिये संबंधित व्यक्ति को अदालत का दरवाजा खटखटाने पर डराने का प्रयास किया गया। यह अदालत की अवमानना की श्रेणी में आता है।
इसके बाद न्यायालय ने एक नोटिस जारी करके पत्र लिखने वाले सचिव से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाये। खंडपीठ ने नोटिस के जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। इस बीच अर्णब इस मामले में गिरफ्तार नहीं किए जाएंगे। शीर्ष अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दत्तार को न्याय मित्र बनाया है।