नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को विश्वविद्यालय बनाने के लिए अधिगृहित 471 एकड़ जमीन वापस लेने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को उचित ठहराने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक का आदेश पारित किया। पीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया।
शीर्ष न्यायालय के इस आदेश से विभिन्न आपराधिक मामलों में जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता एवं सांसद आजम खान को फिलहाल राहत मिली है। खान और उनके परिवार के कई सदस्य इस ट्रस्ट के प्रमुख पदों पर हैं। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (एडीएम) ने अधिग्रहित जमीन की शर्तों का उल्लंघन का हवाला देते हुए पिछले साल जनवरी में उसे वापस लेने का आदेश पारित किया था।
आरोप लगाए गए थे कि ट्रस्ट को शिक्षा के उद्देश्य से जमीन दी गई थी लेकिन उस जमीन को मस्जिद निर्माण एवं अन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया गया, जो जमीन अधिग्रहण की शर्तों का उल्लंघन है। ट्रस्ट ने एडीएम के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन निराशा हाथ लगी।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 6 सितंबर-2021 को एडीएम के फैसले को उचित ठहराते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने की शर्त पर 7 नवंबर 2005 को मौलाना मोहम्मद जौहर विश्वविद्यालय बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी थी।