नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने निजी कंपनियों को ग्राहकों के स्वैच्छिक प्रमाणीकरण के लिए आधार डेटा इस्तेमाल करने की अनुमति देने वाले कानून में संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से आज जवाब तलब किया।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने एस जी वोम्बटकेरे और मानव अधिकार कार्यकर्ता बेजवडा विल्सन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को नोटिस जारी किया और इस मामले को इसी तरह की लंबित याचिका के साथ नत्थी कर दिया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि आधार कानून में 2019 का संशोधन शीर्ष अदालत के पहले के आदेशों का उल्लंघन हैं। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने इसके जरिए निजी कंपनियों की बैक डोर इंट्री कराई है।
इससे पहले पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आधार कानून की वैधता बरकरार रखते हुए कुछ आपत्तियां जताई थीं और कहा था कि निजी कंपनियों को ग्राहकों की अनुमति से भी उनकी जानकारी के प्रमाणीकरण के लिए डेटा इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
बाद में, केंद्र ने कानून में संशोधन करते हुए बैंक खाता खोलने और मोबाइल फोन कनेक्शन हासिल करने के लिए उपभोक्ताओं को पहचान पत्र के रूप में आधार का स्वेच्छा से प्रयोग करने की अनुमति देते हुए कानून में संशोधन किया था।