नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सरकार से जानना चाहा कि क्या राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों को प्रभावित कर सकते हैं? इसके साथ ही न्यायालय ने मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने संबंधी याचिकाओँ की सुनवाई के दौरान सवाल उठाए कि क्या राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत यूजीसी की अधिसूचना और दिशानिर्देश रद्द किए जा सकते हैं? इस पर यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब के लिए कुछ समय मांगा और खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
सुनवाई के दौरान मेहता ने दलील दी कि दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने अपने यहां विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में परीक्षाएं निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि आखिर जब यूजीसी डिग्री देने के लिए अधिकृत है तो राज्य सरकार कैसे परीक्षा रद्द करने का निर्णय ले सकते हैं।
यूजीसी की ओर से 14 अगस्त को यह बताया जाएगा कि क्या राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत यूजीसी की परीक्षा संबंधी अधिसूचना रद्द कर सकती है? गौरतलब है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर विभिन्न पाठ्यक्रमों में अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं।