नई दिल्ली। मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में भी कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ की मुफ्त जांच कराए जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के पिछले आदेश में संशोधन को लेकर शनिवार को एक अर्जी दायर की गई।
पेशे से चिकित्सक डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने अपनी अर्जी में शीर्ष अदालत के गत आठ अप्रेल के अपने अंतरिम आदेश में संशोधन करने का आग्रह किया है, जिसके तहत उसने निजी प्रयोगशालाओं/अस्पतालों में भी कोरोना संक्रमण की जांच मुफ्त करने के लिए केंद्र सरकार को तत्काल दिशानिर्देश जारी करे।
अर्जी में मांग की गई है कि निजी प्रयोगशाला/अस्पताल आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय (ईडब्ल्यूएस) के जिन लोगों की जांच करते हैं उनकी फीस की प्रतिपूर्ति सरकार करे और बाकी लोगों के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से 17 मार्च को जारी अधिसूचना के तहत निर्धारित न्यूनतम जांच फीस लेने की इजाजत निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को दी जाए। यह राशि 4500 रुपए निर्धारित की गई थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी हस्तक्षेप याचिका में कहा है कि यदि शीर्ष अदालत अपने अंतरिम आदेश में संशोधन नहीं करती है तो इसका असर कोरोना महामारी की जांच पर पड़ेगा। वैसे भी देश में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की रफ्तार संतोषजनक नहीं है और निजी प्रयोगशालाओं/अस्पतालों के आनाकानी करने पर स्थिति और खराब होगी। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार के समक्ष मामले की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष उल्लेख (मेंशनिंग) भी किया गया है।