नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा कि मान्यता प्राप्त निजी प्रयोगशालाओं में भी कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण की जांच मुफ्त में की जाएगी।
न्यायालय ने दिन में सुनवाई करते हुए कहा था कि निजी प्रयोगशालाओं में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए ऊंची फीस नहीं वसूली जा सकती और वह इस मामले में अपना आदेश सुनाएगा। इसके बाद न्यायालय ने शाम को अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें उसने स्पष्ट किया है कि जिस तरह सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच मुफ्त हो रही है, वैसे ही सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयाेगशालाओं में भी यह जांच मुफ्त की जाएगी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि केंद्र सरकार इस मामले में तत्काल आवश्यक दिशानिर्देश जारी करेगी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता शशांक देव सुधी की दलीलों को प्रथमदृष्ट्या सही मानते हुए कहा है कि इस समय निजी प्रयाेगशालाओं को भी आगे बढ़कर देशसेवा करनी चाहिए। मुफ्त जांच के लिए इन प्रयाेगशालाओं को सरकार की ओर से कुछ राशि दी जानी चाहिए या नहीं, इस बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा।
न्यायालय ने कहा कि इस राष्ट्रीय संकट की घड़ी में इस वैश्विक महामारी पर पार पाने में निजी अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। न्यायालय ने कहा कि इसलिए हम इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि याचिकाकर्ता ने मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं को मुफ्त जांच के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने का सही मामला उठाया है।
खंड पीठ ने कहा कि अब सवाल उठता है कि क्या कोरोना संक्रमण की जांच करने वाले निजी प्रयोगशालाओं को जांच पर आये खर्च का पैसा मिलेगा या नहीं, इस मुद्दे पर बाद में विचार किया जायेगा। हमारा मत है कि कोविड-19 से संबंधित जांच एनएबीएल (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कॉलिब्रेशन लेबोरिटीज़) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं या आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) से मंजूर एजेंसियों द्वारा ही की जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता सुधी ने सरकारी प्रयाेगशालाओं की तरह ही निजी प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच नि:शुल्क कराये जाने का न्यायालय से अनुरोध किया था। इससे पहले सुनवाई के दौरान खंड पीठ ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह ऐसा कोई ऐसा तंत्र विकसित करे, जिसके तहत निजी प्रयोगशाला की जांच फीस सरकार वापस कर सके। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वह इस मामले में सरकार का पक्ष जानने का प्रयास करेंगे।
याचिकाकर्ता ने गत 31 मार्च को एक याचिका दायर करके सरकार की तरह ही निजी प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के संक्रमण की जांच नि:शुल्क कराने का दिशा-निर्देश केंद्र सरकार को देने की मांग की थी। सुधी ने कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए निजी प्रयोगशालाओं में 4500 रुपए की फीस निर्धारित किए जाने के सरकार के निर्णय को मनमाना और विवेकहीन करार दिया था।
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