नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षाओं में महिला उम्मीदवारों को शामिल करने संबंधी अपना अंतरिम आदेश हटाने से बुधवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रक्षा मंत्रालय का वह आग्रह ठुकरा दिया कि महिला उम्मीदवारों को एनडीए में शामिल करने के लिए मई 2022 तक तंत्र विकसित किया जा सकेगा और तब तक न्यायालय को अपना अंतरिम आदेश हटा लेना चाहिए, हालांकि न्यायालय ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया।
खंडपीठ ने रक्षा मंत्रालय का वह अनुरोध ठुकरा दिया जिसमें उसने कहा था कि शीर्ष अदालत को एनडीए परीक्षा में महिलाओं को इस बार से ही शामिल करने की अनुमति देने संबंधी अपना अंतरिम आदेश वापस ले लेना चाहिए, क्योंकि इस बार से महिलाओं को शामिल कर पाना संभव नहीं होगा।
याचिकाकर्ता कुश कालरा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चिन्मय प्रदीप शर्मा ने दलील दी कि सरकार की प्रस्तावित योजना के अनुसार अगले साल मई में आयोजित होने वाली परीक्षा से महिलाओं को उम्मीदवारी देने का मतलब है उनका एनडीए में प्रवेश 2023 में ही हो पाएगा।
उनकी यह दलील सुनकर न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सशस्त्र बल आपात स्थिति से निपटने के लिए पूर्ण रूपेण प्रशिक्षित है, ऐसे में ये महिलाओं को प्रवेश देने के लिए कोई न कोई त्वरित हल निकाल ही लेंगे। अत: खंडपीठ अपने अंतरिम आदेश वापस नहीं लेगी।
रक्षा मंत्रालय की ओर से कैप्टन शांतनू शर्मा द्वारा मंगलवार को दायर हलफनामे में कहा गया था कि यद्यपि एनडीए में प्रवेश के लिए साल में दो बार परीक्षा आयोजित की जाती है, लेकिन महिलाओं के लिए आवश्यक तंत्र मई 2022 तक विकसित की जा सकेगी।
हलफनामे में कहा गया था कि महिलाओं को एनडीए के जरिये सेना में प्रवेश देने में आने वाली दिक्कतों और महिला उम्मीदवारों के निर्बाध प्रशिक्षण के लिए व्यापक तैयारी की जा रही है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि इसके लिए महिला उम्मीदवारों के वास्ते चिकित्सा मानदंडों के निर्धारण सहित तमाम पहलुओं के मानक तय किये जा रहे हैं। मंत्रालय का कहना था कि यदि प्रशिक्षण के किसी भी मानक से समझौता किया जाएगा तो सशस्त्र बलों की युद्धभूमि में क्षमता पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा।