नई दिल्ली। हरियाणा के सतलोक आश्रम के प्रमुख संत रामपाल की नातिन की शादी में शामिल होने की तमन्ना उस वक्त अधूरी रह गई, जब उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उनकी पैरोल संबंधी अर्जी खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने रामपाल की अर्जी खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
रामपाल ने अपनी नातिन तमन्ना की 15 जुलाई को रोहतक में होने वाली शादी में शामिल होने के लिए एक सप्ताह की पैरोल दिए जाने की मांग उच्च न्यायालय से की थी, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। हालांकि उनके बेटे वीरेंद्र को तीन सप्ताह की अंतरिम राहत दी गई है।
रामपाल ने उच्च न्यायालय के निर्णय को शीर्ष अदालत में इसी आधार पर चुनौती दी थी कि उच्च न्यायालय ने उनके बेटे को तो राहत दी लेकिन उनकी अर्जी खारिज कर दी जो असमानता का निर्णय है। शीर्ष अदालत ने अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि संत रामपाल, उनके बेटे एवं अन्य 13 लोग वर्ष 2014 में हिसार के आश्रम में हुई हिंसा, हत्या और आपराधिक साजिश के मामले में जेल की सजा काट रहे हैं।