नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दलबदल के मामले में तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय की पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की मांग वाली भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
अधिकारी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के 11 फरवरी के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल कानून के तहत रॉय की सदस्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवाई की पीठ ने अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ता को इस मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष अपील करने की अनुमति दी है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले सुनवाई के दौरान विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि वह रॉय की विधानसभा सदस्यता पर सवाल उठाने वाली याचिका फरवरी के मध्य तक कोई फैसला लेने का प्रयास करें। इससे पूर्व अदालत में कई तारीखों पर सुनवाई में तेजी लाने का अनुरोध किया था।
भारतीय जनता पार्टी से पाला बदलकर ममता बनर्जी के नेतृत्व में सत्ता में लौटी तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने बाद श्री राॅय को राज्य की लाेक लेखा समिति का चेयरमैन बनाया गया था।
अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सिर्फ अदालत दरवाजा खटखटाने से पहले भाजपा विधायक अंबिका रॉय की ओर से मुकुल रॉय को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की गुहार विधानसभा अध्यक्ष से लगाई गई थी। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा फैसले लेने में देरी को आधार बनाते हुए भाजपा विधायक अंबिका रॉय ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस से 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे। वर्ष 2021 में विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जीतने के बाद वह पुनः तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट आए थे।
भाजपा का आरोप है कि उनकी वापसी का इनाम देते हुए उन्हें नौ जुलाई को पीएसी का चेयरमैन नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाले भाजपा विधायक ने पीएसी का पद विपक्षी दल के विधायक को देने का कानूनी प्रावधान बताया था और कहा था मुकुल राय अब विपक्ष में नहीं है, इसलिए मुकुल राय की चेयरमैन पद पर नियुक्ति असंवैधानिक है।