नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी के कारण देर से आयोजित हो रही संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा को चार अक्टूबर से और आगे बढ़ाने से बुधवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आयोग की ओर से दी गई दलीलों पर भरोसा जताते हुए यूपीएससी की प्रारम्भिक परीक्षा के 20 उम्मीदवारों की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी। आयोग ने दलील दी थी कि अब परीक्षा टालने का असर अगले साल की परीक्षा पर भी पड़ेगा।
इतना ही नहीं इस परीक्षा के आयोजन की सारी तैयारियों की जा चुकी हैं और अब इसे यदि टाला गया तो आयोग को करोड़ों रुपए की चपत लगेगी। आयोग की ओर से कहा गया कि परीक्षा उम्मीदवारों की स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सभी उचित उपाय किए गए हैं।
खंडपीठ ने कहा कि हाल के दिनों में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का सफल आयोजन इस बात का प्रमाण है कि इन परीक्षाओं के आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्रालय की मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया गया।
न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस से संक्रमित उम्मीदवारों को किसी भी हाल में परीक्षा केंद्र में घुसने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि इससे दूसरे उम्मीदवारों तक वायरस का संक्रमण पहुंच सकता है। न्यायालय ने कहा कि इस साल की परीक्षा को अगले साल की परीक्षा के साथ संयुक्त रूप से आयोजित कराना संभव नहीं है।
आयोग ने परीक्षा स्थगित करने में असमर्थता जताई थी। आयोग की पैरवी कर रहे अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करना बिल्कुल भी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के हालातों का संज्ञान लेते हुए पहले ही एक बार परीक्षा स्थगित की जा चुकी है। अब दोबारा इसे स्थगित करने से परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचेगा।