नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे धड़े की चुनाव आयोग के 17 फरवरी के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की गुहार बुधवार को अस्वीकार कर दिया।
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता के साथ ही उसे ‘धनुष- तीर’ चुनाव चिन्ह आवंटित करने संबंधी आदेश 17 फरवरी को दिया था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन शिंदे समूह को नोटिस जारी कर याचिका पर अपना जवाब देने को कहा है।
याचिकाकर्ता ठाकरे समूह का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी और देवदत्त कामत ने रखा। वहीं, अधिवक्ताओं नीरज किशन कौल, महेश जेठमलानी और मनिंदर सिंह शिंदे समूह की ओर से दलीलें दीं।
शीर्ष अदालत ने ठाकरे गुट की उस दलील को भी खारिज कर दी, जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगाने से महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है।
इस पर पीठ ने कहा कि वे (शिंदे गुट) चुनाव आयोग के समक्ष सफल रहे हैं। हम इस समय आदेश पर रोक नहीं लगा सकते। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ठाकरे समूह को अगले आदेश तक ज्वलंत मशाल प्रतीक के साथ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम को जारी रखने की अनुमति दे दी।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने 17 फरवरी को उद्धव ठाकरे समूह को एक बड़ा झटका देते हुए अपने अंतिम आदेश में कहा था कि पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिन्ह ‘तीर-धनुष’ मुख्यमंत्री शिंदे गुट के पास रहेगा। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि यह आदेश उसने संविधान के अनुच्छेद 324 और प्रतीक आदेश- 1968 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पारित किया गया था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना के प्रमुख नेता घोषित