नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी से 2019 के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व जवान तेज बहादुर की याचिका खारिज कर दी।
शीर्ष अदालत ने गत बुधवार को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई को याचिकाकर्ता तेज बहादुर के वकील प्रदीप यादव ने सुनवाई स्थगित कराने को लेकर काफी जोर लगाया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी मंशा भांपकर ऐसा करने से इन्कार कर दिया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ से मामले की सुनवाई स्थगित करने का कई बार अनुरोध किया था, लेकिन न्यायमूर्ति बोबडे वकील की मंशा भांप चुके थे और उन्होंने वकील को बार-बार जिरह करने को कहा था। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा था कि इस तरह सुनवाई बार-बार टाली नहीं जा सकती। यह मुकदमा लंबे समय से चला आ रहा है और चार बार तो वह ही सुन चुके हैं।
तेज बहादुर की तरफ से सुनवाई टाले जाने की मांग पर सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि आप कई बार सुनवाई टाल चुके हैं। आप कोर्ट का अपमान कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा था कि हम आपको केवल इसलिए सुन रहे हैं क्योंकि यह प्रधानमंत्री से जुड़ा मामला है।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रधानमंत्री की तरफ से पेश हो रहे वकील से वकालतनामा देने की मांग की थी और नोटिस जारी करने की बात कही थी। प्रधानमंत्री की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने दो नामांकन पत्र दाखिल किए थे, एक निर्दलीय और एक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर। एक नामांकन में कहा गया था कि उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था और एक में ऐसा कुछ नहीं कहा गया था। बाद में न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि सीमा सुरक्षा बल के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उच्च न्यायालय का मानना था कि तेज बहादुर न तो वाराणसी के वोटर हैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार थे। इस आधार पर उनका चुनाव याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं बनता।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के इच्छुक तेज बहादुर का नामांकन गलत जानकारी देने के कारण रद्द कर दिया गया था।