नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने कदाचार और हेराफेरी के आधार पर गुजरात के शिक्षा एवं कानून मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा का निर्वाचन रद्द किए जाने के हाईकोर्ट के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और नीरज किशन कौल तथा चूड़ासमा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस उम्मीदवार आश्विन राठौड़ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी। न्यायालय ने राठौड़ को नोटिस भी जारी किया।
बतादें कि गुजरात हाई कोर्ट ने कद्दावर भाजपा विधायक और राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूडासमा को बड़ा झटका देते हुए अहमदाबाद जिले की धोलका सीट पर पिछले चुनाव में मिली उनकी जीत को रद्द कर दिया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक तथा खासे रसूखदार माने जाने वाले चूडासमा ने 2017 में हुए पिछले चुनाव में कांग्रेस के अश्विन राठौड़ को मात्र 327 मतों के बेहद नजदीकी अंतर से हराया था। निर्वाचन अधिकारी धवल जानी ने इससे पहले 429 पोस्टल बैलेट को खारिज कर इन्हें मतगणना में शामिल नहीं किया था। राठौड़ ने इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि अगर पोस्टल बैलट की भी गिनती हुई होती तो परिणाम उनके पक्ष में जा सकता था।
न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय की अदालत ने फरवरी में ही इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। उन्होंने हाल ही में अपना फैसला सुनाते हुए चूडासमा के निर्वाचन को खारिज कर दिया। हालांकि वह इस मामले में ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं।
ज्ञातव्य है कि इस चर्चित मामले की सुनवाई के दौरान मतगणना के सीसीटीवी फुटेज में चूडासमा के निजी सचिव को मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन पर बात करते हुए देखा गया था। निर्वाचन अधिकारी जानी को भी उनके बर्ताव के लिए अदालत ने फटकार लगाई थी।
इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में पहले ही चुनौती देने का प्रयास करने वाले चूडासमा को सितंबर में अदालत के समक्ष पेश होना पड़ा था और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने के अपने निर्णय के लिए अदालत में खेद भी जताया था। चूडासमा को गुजरात भाजपा का एक कद्दावर नेता माना जाता है। वह शिक्षा के अलावा कुछ अन्य विभागों के भी प्रभारी हैं।