राजधानी दिल्ली और एनसीआर में पिछले आठ दिनों से वायु प्रदूषण और जहरीली धुंध से 4 करोड़ लोग बेहाल हैं। दिल्ली और आसपास क्षेत्रों में सभी स्कूल 5 नवंबर तक बंद कर दिए गए हैं। लोगों की सांसें फूल रही है। जहरीले धुएं ने लोगों का घरों से निकलना मुश्किल कर रखा है। दूसरी ओर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारें एक-दूसरे पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ रही है।
दिल्ली और एनसीआर में फैले प्रदूषण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ और पंजाब हरियाणा राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा है कि आप दोनों को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है। यहां पर लोग मर रहे हैं, किसी भी सभ्य देश में ऐसा नहीं होता है। सर्वोच्च अदालत ने इन दोनों राज्य सरकारों को आदेश दिए हैं कि जो लोग पराली जला रहे हैं उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोगों को जीने का अधिकार है, एक पराली जलाता है और दूसरे के जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है।
जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार करे या फिर राज्य सरकार, इससे हमें मतलब नहीं है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हर साल 10-15 दिन के लिए हमें ये देखना पड़ रहा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आज एक्यूआई दिल्ली के पॉश एरिया में भी 500 पार कर गया है। और सरकारें इस पर फिक्रमंद नहीं है बल्कि एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं, अच्छा होता इसका जल्द समाधान निकाला जाता जिससे लोगों को राहत मिलती।
दिल्ली में आज से लागू हुए ऑड ईवन पर सर्वोच्च अदालत ने उठाए सवाल
देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने आज से ऑड ईवन लागू किया है। इस पर भी सर्वोच्च अदालत ने सवाल उठाए हैं और पूछा है ‘इससे क्या फायदा है’। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार से सवाल पूछे हैं। दरअसल, याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि दिल्ली में गाड़ी से ज्यादा टू व्हीलर्स प्रदूषण फैला रहे हैं। दिल्ली सरकार ने कहा है कि सड़क पर कम संख्या में गाड़ी होने से प्रदूषण कम फैल रहा है, लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर कर रहे हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीजल व्हीकल बैन करना समझ आता है लेकिन ऑड ईवन क्या है ? पिछले साल आपने कहा था 3000 बस आएंगी, लेकिन सिर्फ 120 ही आईं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग कैसे सोचते हैं, देखना होगा। आज कोई भी मेट्रो से एयरपोर्ट नहीं जाना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्य सरकारों को वायु प्रदूषण रोकने पर असफल होने पर लगाई फटकार को कुछ दिन पहले लगाना चाहिए अब तक जहरीली हवाओं से करोड़ों लोगों को फायदा मिल सकता था। सैकड़ों लोगों को जहरीले धुएं से बीमार होकर अस्पतालों में भर्ती होना न पड़ता। अब देखना होगा सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद राज्य सरकारें इस जहरीले प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या उपाय करते हैं और कब तक ? या चुनाव में ही व्यस्त रहेंगे।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार