नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जाने माने वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अदालत की अवमानना मामले में मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन सहित अन्य वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा। न्यायमूर्ति मिश्रा और धवन के बीच फोन पर जिरह हुई। बीच में सुनवाई स्थगित हो गई। बाद में फिर सुनवाई शुरू हुई और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायालय यह तय करेगा कि मामले में भूषण और तहलका पत्रिका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई आगे बढ़े या उनके द्वारा दिए गये स्पष्टीकरण/माफीनामे को मंजूर करके कार्रवाई बंद की जाए।
भूषण ने अपना स्पष्टीकरण दिया है, जबकि साक्षात्कार छापने वाले तहलका के संपादक तरुण तेजपाल ने माफी मांगी है। न्यायालय ने भूषण के लिए धवन, तरुण तेजपाल के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और न्यायमित्र हरीश साल्वे से करीब एक घंटे तक अकेले में बहस सुनकर सुनवाई पूरी की।