नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने राफेल विमान सौदा मामले में आज स्पष्ट किया कि लड़ाकू विमान की कीमतों के बारे में अदालत में बहस का तब तक सवाल नहीं उठता जब तक इस बात का निर्णय न हो जाए कि कीमत की जानकारी सार्वनजिक की जा सकती है या नहीं।
न्यायालय ने साथ ही, इस मामले में सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए भारतीय वायुसेना के एक शीर्ष अधिकारी को आज ही तलब किया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल एवं न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की खंडपीठ में पेशे से वकील मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी एवं यशवंत सिन्हा सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई शुरू हुई।
पहले शर्मा और ढांडा ने जिरह की, उसके बाद प्रशांत भूषण ने खुद अपनी ओर से तथा शौरी एवं सिन्हा की ओर से अपनी दलीलें पेश की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अदालत में राफेल की कीमत में बारे में बहस का तब तक कोई सवाल नहीं उठता, जब तक यह निर्णय नहीं हो जाता कि कीमतों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जानी है या नहीं।
न्यायालय ने भोजनावकाश से पहले केंद्र की ओर से पेश एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या अदालत में भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी मौजूद है, क्योंकि वह उस अधिकारी से कुछ जानकारी लेना चाहता है। न्यायालय ने वायु सेना के किसी अधिकारी को अदालत कक्ष में पेश करने का निर्देश दिया।
भोजनावकाश के बाद जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, एयर वाइस मार्शल टी चलपती अदालत कक्ष में न्यायालय के सवालों के जवाब देने के लिए मौजूद थे। उनके साथ वायुसेना के कुछ अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
खंडपीठ ने वायुसेना अधिकारी से कई महत्वपूर्ण सवाल किए, जिनमें वायुसेना के लिए समय-समय पर हुई खरीद और उसकी प्रक्रिया आदि से जुड़े प्रश्न शामिल थे। अधिकतर याचिकाकर्ताओं ने राफेल सौदे की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की है।