नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू) अर्थात एजीआर मामले में दूरसंचार कंपनियों को गुरुवार को करारा झटका देते हुए दूरसंचार विभाग की अपील मंजूर कर ली।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दूरसंचार विभाग की अपील मंजूर कर ली। इस फैसले के बाद अब टेलीकॉम कंपनियों को बकाया रकम सरकार को चुकानी होगी। ये रकम करीब 92 हजार करोड़ रुपए है, जो दूरसंचार कंपनियां सरकार को चुकाएगी।
गौरतलब है कि एजीआर के तहत क्या-क्या शामिल होगा, इसकी परिभाषा को लेकर टेलीकॉम कंपनी और सरकार के बीच विवाद चल रहा था।
टेलीकॉम कंपनियां सरकार के साथ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शेयरिंग करती है। सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा के अनुसार, किराया, संपत्ति की बिक्री पर मुनाफा, ट्रेजरी इनकम, डिविडेंड सभी एजीआर में शामिल होगा। वहीं, डूबे हुए कर्ज, करंसी में फ्लकचुएशन, कैपिटल रिसिप्ट डिस्ट्रीब्यूशन मार्जन एजीआर में शामिल नहीं करने का आदेश दिया गया है।