नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम के पुत्र नारायण साईं को मिले दो हफ्ते के ‘फरलॉ’ आदेश पर गुरुवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने नारायण साईं को दो सप्ताह के लिए फरलॉ देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत की यह रोक राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद आई।
न्यायालय ने कहा कि वह इस बात पर भी विचार करेगा कि फरलॉ पर रिहाई के लिए इस्तेमाल किए शब्द ‘प्रत्येक वर्ष’ का अर्थ क्या है? क्या यह एक कैलेण्डर वर्ष के लिए है या पिछली बार दी गई रिहाई के आदेश से एक साल के भीतर के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है।
गुजरात के सूरत स्थित आश्रम में दो बहनों से रेप के मामले में निचली अदालत ने आसाराम के पुत्र नारायण साईं को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले की शिकायत साल 2013 में दर्ज कराई गई थी। अक्टूबर 2013 में नारायण साईं पर सूरत की रहने वाली महिला ने दुष्कर्म का अरोप लगाया था। पीड़िता नारायण साईं के आश्रम की साधिका थी और उसने आरोप लगाया था कि नारायण साईं ने आश्रम में ही उसके साथ दुष्कर्म किया था।