नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पूरे देश में न्यायालयों द्वारा मौत की सजा देने पर एक स्वत: संज्ञान जांच शुरू की। जिसके तहत इस मामले में देश भर की सभी अदालतों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किया जाएगा।
न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले की शुरुआत करते हुए ऐसे मामलों की पूरी जानकारी और मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की सहायता मांगी है, जो सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मौत की सजा के मामलों के बड़े मुद्दे की जांच करना चाहती है और देश भर की अदालतों द्वारा मौत की सजा को संस्थागत बनाना चाहती है। मामले की अगली सुनवाई 10 मई को होगी।
राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) को नोटिस जारी करते हुए, पीठ में शामिल न्यायाधीश एस रवींद्र भट और पीएस नरसिम्हा ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए प्रणाली को संस्थागत बनाने और ठीक से सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है। वेणुगोपाल ने न्यायालये के फैसले पर सहमती जतायी है।
गौरतलब है कि खंडपीठ इरफान (भायु मेवती) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अभियुक्त को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था।