नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने देश को दहला देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले के गुनाहगार विनय शर्मा की राष्ट्रपति द्वारा खरिज दया याचिका को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला गुरुवार को सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की विशेष खंडपीठ ने विनय शर्मा के वकील ए पी सिंह और केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्ययालय ने इस पर फैसला सुनाने के लिए शुक्रवार दोपहर बाद दो बजे का समय निर्धारित किया। इससे पहले सिंह ने दलील दी कि विनय शर्मा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल को संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया था। साथ ही यह भी कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के गृह मंत्री ने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
मेहता ने उनकी इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि सारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। कल इस मामले में शीर्ष अदालत अपना फैसला सुनाएगा।
विनय ने राष्ट्रपति के फैसले की समीक्षा का न्यायालय से अनुरोध किया है। विनय ने अपनी याचिका में कहा है कि उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने जल्दबाजी में खारिज की है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गत एक फरवरी को विनय शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी है।
राजधानी के दक्षिण दिल्ली में निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसे सड़क पर फेंक दिया गया था। बाद में उसे सिंगापुर के महारानी एलिजाबेथ अस्पताल एयरलिफ्ट करके ले जाया गया था। वहां उसकी मौत हो गई थी।
इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमे एक नाबालिग था, जिसे तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया था। एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। चार अन्य आरोपियों – मुकेश, अक्षय, विनय और पवन – को फांसी की सजा मिली थी।