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Supreme Court verdict on reservation unfortunate - Sabguru News
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आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण : अनुप्रिया पटेल

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आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण : अनुप्रिया पटेल
Supreme Court verdict on reservation unfortunate
Supreme Court verdict on reservation unfortunate

लखनऊ। केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सहयोगी अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते सोमवार को कहा कि मोदी सरकार को अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़ा वर्ग के अधिकारों के संरक्षण के लिये अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन बगैर देरी करना चाहिये।

पटेल ने कहा है कि एससी-एसटी और ओबीसी के संविधान प्रदत आरक्षण के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। वंचित वर्गों के अधिकारों पर इससे भयानक कुठाराघात और कोई भी नहीं हो सकता है। उन्होने कहा कि अदालत के माध्यम से आरक्षण के खिलाफ बार-बार इस तरह के जो फैसले आते हैं, उसका सबसे बड़ा कारण ये है कि हमारी न्यायपालिका के अंदर एससी-एसटी और ओबीसी का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसलिए उनकी पार्टी मांग करती है कि एससी-एसटी, ओबीसी का जो प्रतिनिधित्व है, उसे सुनिश्चित किया जाए। उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का तत्काल गठन किया जाए।

उन्होने कहा कि संसद के पास ये अधिकार है कि कानून बनाकर ऐसे मामलों का निपटारा करे। वर्ष 2018 में भी एक ऐसी ही परिस्थिति आई, जब एससी-एसटी उत्पीड़न अधिनियम में उच्चतम न्यायालय के द्वारा जो बदलाव किया गया था, तब केंद्र सरकार ने संसद में अध्यादेश लाकर और एक नया कानून बनाकर वंचित वर्गों के अधिकार को संरक्षित करने का कार्य किया था और आज फिर ऐसी भयावह स्थिति खड़ी है।

पटेल ने इस मामले में केंद्र सरकार से मांग की है कि इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करे और इस मामले का निपटारा करे, क्योंकि देश का वंचित वर्ग आज हाशिए पर खड़ा है और अपनी चुनी हुई सरकार से ये उम्मीद करता है कि इस तरह के फैसले जो बार-बार न्यायालय द्वारा दिए जाते हैं, सरकार को इसमें सामने आकर वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।

पार्टी प्रवक्ता राजेश पटेल ने बताया कि उनकी नेता पटेल ने इस ज्वलंत एवं गंभीर मामले को संसद के अंदर भी उठाया और मांग की कि केंद्र सरकार इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करे। पटेल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह फैसला, जिसमें कहा गया है कि राज्यों को सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए कोई बाध्य नहीं है और प्रमोशन में आरक्षण का दावा करने का उनको अधिकार नहीं है, बेहद ही दुभाग्यपूर्ण है।