नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने सरकार से ‘वेतन’ की परिभाषा का निर्धारण करते हुए इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का निर्णय लागू करने की मांग की है।
बीएमएस ने बृहस्पतिवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के साथ श्रम संहिताओं की नियमावली के लिए बुलाई गई बैठक में यह मुद्दा उठाया गया।
बीएमएस के महासचिव बिनय कुमार सिन्हा ने कहा कि बैठक में वेतन में भत्तों की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित नहीं करने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने वेतन के संबंध में वर्ष 2019 के विवेकानंद विद्यालय के मुकदमे में निर्णय को लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि बैठक में कामकाज की अवधि 12 घंटे तक करने का विरोध किया गया। इस तरह का प्रावधान दुनिया में कहीं नहीं है। केवल ओवरटाइम दुगुने वेतन पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। वेतन की गणना में परिवार में छह सदस्य माने जाने चाहिए। पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड की व्यवस्था को बहाल किया जाना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि वेतन के संबंध में महानगर, गैर महानगर और ग्रामीण क्षेत्रों की श्रेणी नहीं बनाई जानी चाहिए। इससे असमानता बढ़ेगी और गांवों से शहरों की ओर पलायन होगा। इसके बजाय राष्ट्रीय वेतन प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए जाे अधिकतर देशों में लागू है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पांच वर्ष में वेतन संशोधित किया जाना चाहिए। दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लगभग 20 साल के अंतराल पर वेतन संशोधन हुआ है।