औरंगाबाद। मराठा आरक्षण के मुख्य याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने गुरुवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के मराठा आरक्षण को रद्द किए जाने को पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से चुनौती दी जाएगी।
पाटिल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मराठा आरक्षण को रद्द करते समय कई सकारात्मक मुद्दों पर विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय में काफी दिनों से मराठा आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन कल आए निर्णय में इसे रद्द कर दिया गया।
कल के निर्णय को देखते हुए और फैसले की प्रति के अध्ययन के बाद यह स्पष्ट है कि उच्चतम न्यायालय कुछ मुद्दों पर सकारात्मक नहीं था। मुझे आशा है कि जब पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से यह मामला न्यायालय में दोबारा लाया जाएगा और कुछ मुद्दे उसकी नोटिस में लाए जाएंगे तो 30 दिनों के अंदर आरक्षण का समर्थन कर दिया जाएगा।
उद्धव ने मोदी, कोविंद से की एससी के फैसले की समीक्षा करने की अपील
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मराठाओं के लिए राज्य की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है।
कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ने आधिकारिक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मराठा आरक्षण के मुद्दे पर तत्काल फैसला लेने की अपील की है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहाकि इससे पहले केंद्र ने शाहबानो मामला, अत्याचार अधिनियम और धारा 370 में त्वरित निर्णय लेते हुए न्याय के लिए उत्सुकता दिखाई थी। इसके लिए संविधान में भी बदलाव किए गए थे। अब, मराठा आरक्षण के संबंध में यही नीति अपनाई जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बहाने किसी को भी राज्य में माहौल खराब करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। लोगों को उकसाना नहीं चाहिए। मराठा आरक्षण के बारे में कानूनों की लड़ाई जीत तक जारी रहेगी।