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suraksha balon ne alagaavavaadiyon ke shopiya chalo ko naakaam kiya
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सुरक्षा बलों ने अलगाववादियों के ‘शोपियां चलो’ काे नाकाम किया

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सुरक्षा बलों ने अलगाववादियों के ‘शोपियां चलो’ काे नाकाम किया
Security forces failed
Security forces failed
Security forces failed

SABGURU NEWS | श्रीनगऱ जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ की एक घटना में लश्कर ए तैयबा के दोअातंकवादियों सहित छह लोगों के मारे जाने के विरोध में अलगाववादियों द्वारा बुधवार को आहूत ‘शोपियां चलो’ काे सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया।

अलगाववादियों ने हिरासत में लिए गए लोगों को कश्मीर की जेलों से बाहर भेजे जाने के विरोध में बुधवार काे हड़ताल का भी आह्वान किया था।

इस बीच प्रशासन ने मौजूदा हालात को देखते हुए शोपियां में लगने वाले ‘रोजगार मेले’ को भी स्थगित कर दिया है।
पुलिस ने बताया कि ऐहतियात के तौर पर शोपियां में धारा 144 लगा दी गई है।
दूसरी ओर, लोगों का कहना है कि वास्तविक हालात बिल्कुल अलग हैं। शहर और बाहरी क्षेत्रों में सैकड़ों सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस के कर्मियों को तैनात किया गया है। लोगों को घरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य शहर की ओर जाने वाली सभी सड़कों पर कंटीली तार लगा दी गई है।

अन्य जिलों के लोगों को जुलूस में शामिल होने से रोकने के लिए शोपियां की ओर जाने वाली सड़कों पर ‘नाके’ लगा दिए गए हैं।

संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल)ने हुर्रियत के कट्टरपंथी गुट के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी गुट के अध्यक्ष मीरवाइज मौलवी उमर फारुक और मोहम्मद यासीन मलिक शामिल हैं। जेआरएल पहले साेमवार को हत्याओं के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया था। जेआरएल ने हिरासत में लिए गए लोगों को कश्मीर की जेलों से बाहर भेजे जाने के विरोध में भी बुधवार काे हड़ताल का आह्वान किया था। बाद में जेआरएल ने लश्कर ए तैयबा के दो अातंकवादियों सहित छह लोग के मारे जाने के विरोध में ”शोपियां चलो” का आह्वान किया था।

गिलानी और मीरवाइज को नजरबंद रखा गया है जबकि मलिक को सेंट्रल जेल में रखा गया है। शोपियां में हड़ताल के कारण सोमवार से ही जनजीवन अस्त-व्यस्त है।

रविवार को हुई मुठभेड़ में लश्कर ए तैयबा के दो आतंकवादियों के अलावा चार अन्य लोग मारे गए थे। इनके मारे जाने के विरोध में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सेना ने मुठभेड़ के बाद चार नागरिकों को मार डालाय जबकि सेना का दावा है कि वे ओवर ग्राउंड वर्कर्स यानी ओजीडब्ल्यू थे।

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