मुंबई। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली टीवी और फिल्मों की जानी-मानी चरित्र अभिनेत्री सुरेखा सीकरी जर्नलिस्ट बनना चाहती थी। वे अब हमारे बीच नहीं रहीं। सुबह कार्डिएक अरेस्ट से निधन हो गया। उन्होंने अपनी हर भूमिका को काफी खूबसूरती से जिया और हर किरदार पर भारी पड़ी हैं।
19 अप्रैल 1945 में जन्मीं सुरेखा सीकरी का बचपन अल्मोढ़ा और नैनीताल में बीता। उनके पिता एयरफोर्स में थे और मां शिक्षका थीं। सुरेखा सीकरी फिल्मों में आने से पहले जर्नलिस्ट और राइटर बनना चाहती थीं। सुरेखा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में दाखिला लिया। एनएसडी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कुछ दिनों तक कैम्पस में ही पूर्व छात्रों के थियेटर कंपनी के साथ काम करने लगीं। बाद में बतौर अभिनेत्री बनने का सपना लिये वह मुंबई आ गईं।
सुरेखा सीकरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1978 में प्रदर्शित फिल्म किस्सा कुर्सी से की थी। सुरेखा ने अपने करियर में 30 से अधिक फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा पॉप्युलैरिटी टीवी सीरियल ‘बालिका वधू’ से मिली। इस सीरियल में ‘दादी सा’ के किरदार में वह घर-घर में पहचानी गईं।
सुरेखा सीकरी अपने सिने करियर में तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गई। उन्होंने वर्ष 1988 में फिल्म तमस, वर्ष 1995 में मम्मो और वर्ष 2018 में बधाई हो के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1989 में हिंदी थिएटर में जबरदस्त योगदान के चलते उन्हें संगीत नाटक अकादमी ने भी सम्मानित किया था। सुरेखा ने हेमंत रेगे से शादी की थी, जिससे उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम राहुल सीकरी है। राहुल मुंबई में रहते हैं और एक आर्टिस्ट हैं।
सुरेखा सीखरी ने तमस, सलीम लंगड़े पे मत रो, सरदारी बेगम, सरफरोश, मम्मो, हरी-भरी, जुबैदा, मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, रेनकोट, तुमसा नहीं देखा, देव डी, बधाई हो, शीर कोरमा और घोस्ट स्टोरीज जैसी कई फिल्मों में काम किया। सुरेखा सीकरी ने बालिका वधू के अलावा एक था राजा एक थी रानी, परदेस में है मेरा दिल, सात फेरे, बनेगी अपनी बात, केसर, जस्ट मोहब्बत जैसे टीवी शो में भी काम किया था।