जौनपुर। इस वर्ष का अंतिम का खंडग्रास सूर्य ग्रहण है और यह दुर्लभ ग्रह-स्थिति में हो रहा है। वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में हो रहे इस सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है। वहीं, धनु राशि में छह ग्रह एक साथ हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ0 शैलेश कुमार मोदनवाल ने आज यहां बताया कि ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले सात जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसम्बर को रहेगी। उन्होंने कहा कि पौष कृष्ण अमावस्या 26 दिसम्बर गुरुवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण लग रहा है। काशी समय के तहत ग्रहण का स्पर्श सुबह में आठ बजकर 21 मिनट, ग्रहण का मध्य सुबह नौ बजकर 40 मिनट और ग्रहण का मोक्ष सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर होगा। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि दो घंटे 53 मिनट होगी। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व यानि बुधवार को रात आठ बजकर 21 बजे से लग जाएगा ।
यह ग्रहण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि में लग रहा है। इसलिए मूल नक्षत्र के जातक को इस ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ग्रहण काल में भगवान सूर्य एवं विष्णु के मंत्रों का जाप, भगवत नाम संकीर्तन विशेष लाभदाई है। तीर्थ स्नान, हवन तथा ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं। उन्होंने बताया कि सूतक व ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है।
खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय में वर्जित है। सूतक काल में बच्चे, बूढ़े, गर्भावस्था स्त्री आदि को उचित भोजन लेने में कोई परहेज नहीं है। सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण या तुलसी का पत्ता डाल देना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह सूर्य ग्रहण तुला, कुंभ व मीन राशियों के लिए शुभ फलदाई है।