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बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद की जड़ें गहरी - Sabguru News
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बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद की जड़ें गहरी

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बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद की जड़ें गहरी

मुंबई। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) कोई नई बात नहीं है, जब से फिल्में बननी शुरू हुई तब से इंडस्ट्री में भी भाई-भतीजावाद ने धीरे-धीरे जड़े जमानी शुरू की और आज इसकी जड़ें गहरी होकर वटवृक्षों का रूप ले लिया है।

छोटे पर्दे से सिल्वर स्क्रीन का सफर छोटे समय में तय करने वाले स्मॉल टाउन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद बॉलीवुड में ‘नेपॉटिज्म’फिर से सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर उस बहस ने जन्म ले ही लिया जिसकी जड़ता पूरी फिल्म इंडस्ट्री को जकड़ती जा रही है। वह जड़ता है भाई भतीजावाद या फिर कहें तो परिवारवाद।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देश के युवाओं ‘नेपोटिज्म’नाम की मुहिम छेड़ दी है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म युवाओं ने नेपोटिज्म के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। युवाओं का आरोप है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का शिकार होने से उभरते सितारे सुशांत ने आत्महत्या की है। युवाओं ने सुशांत की मौत की सीबीआई से जांच की मांग की है।

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से इंडस्ट्री के अंदर और बाहर हर ओर से भाई-भतीजावाद, बाहरी और फिल्म इंडस्ट्री का, फिल्म इंडस्ट्री के बड़े परिवार या किसी गॉडफादर से जुड़ा होने और बिना गॉडफादर के संघर्ष करने वाली लॉबी में बंटे होने जैसे सवाल उठाए जा रहे हैं।

कंगना रनौत, कोएना मित्रा, अभिनव कश्यप ,गीता फोगाट ,पायल रोहतगी ,रवीना टंडन, शेखर कपूर, और साहिल खान समेत कई हस्तियां इंडस्ट्री में भाई-भतीजवाद को लेकर अपनी राय रखी है। फिल्म इंडस्ट्री के ही कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि बॉलीवुड में बाहरी कहकर सुशांत को इग्नोर किया जाता था।

यह भी आरोप हैं कि सुशांत को विभिन्न समारोहों, शादियों एवं पार्टियों में नहीं बुलाया जाता था। ‘छिछोरे’ हिट होने के बाद सुशांत सिंह राजपूत ने सात फिल्में साइन की थी, लेकिन छह महीने में उसके हाथ से सारी फिल्में निकल गई।

सुशांत की आत्महत्या के बाद जिन लोगों पर परिवारवाद का आरोप लग रहा है वो बड़े नाम हैं। करण जौहर, आदित्य चोपड़ा, साजिद नाडियादवाला, संजय लीला भंसाली, दिनेश विजयन, टी सीरीज के भूषण कुमार, एकता कपूर और सलमान खान पर सुपरस्टार सुशांत को प्रताड़ित करने के आरोप लगाया है।

कहा जा रहा है कि सुशांत ने यह आत्महत्या इन्हीं लोगों से तंग आकर की। यह भी कहा जा रहा है बड़े बैनर ने सुशांत को अपनी फिल्मों में लेने से मना कर दिया और देखते-देखते सात फिल्मों से उन्हें निकाल दिया गया, क्योंकि इन प्रोडक्शन हाउस की टीम ने मिल कर एक टैलेंटेड युवा सुशांत का बहिष्कार किया। छिछोरे जैसी सुपरहिट फिल्म के बाद भी उनके पास कोई फिल्म नहीं थी जिस सच को सुशांत अपना नहीं पा रहे थे।

सुशांत की आत्महत्या की खबर जब से सामने आई है, तब से उनके प्रशंसकों में आक्रोश भरा हुआ है। सुशांत के लिए न्याय की मांग ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है। मामले में सबसे अधिक करण जौहर और सलमान खान लोगों के निशाने पर हैं। ज्यादातर यूजर्स बॉलीवुड में मौजूद भाई-भतीजावाद के लिए करण जौहर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

करण ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है हालांकि उन्होंने अपने ट्विटर से स्टार किड्स और बाकी स्टार को अनफॉलो कर दिया हैं। उन्होंने ट्विटर पर हजारों लोगों को अनफॉलो कर लिया है।

वर्ष 1913 में फिल्म राजा हरिश्चंद्र के साथ जब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की शुरुआत हुयी तब यह कलात्मक शुरुआत थी। करीब पांच दशक तक इसका कलात्मक पक्ष इसके व्यावसायिक पक्ष पर हावी रहा। फिल्मकारों ने जो फिल्में बनाई उनमें चमक-दमक से ज्यादा यथार्थ को पेश किया।

सत्तर के दशक तक फिल्मों का कथानक वर्तमान के जीवन से जुड़ा हुआ होता था। कहीं मध्यम वर्ग की समस्याएं, कहीं निम्नवर्ग की परेशानियां तो कहीं उच्च वर्ग के द्वारा शोषण के खिलाफ खड़े मजदूर दिखाई पड़ते थे। पहले के समय में जितने भी सुपरस्टार बनें सभी छोटे जगह और गांव से आकर एक मुकाम हासिल किया। लेकिन अब तकनीक और समय के साथ इंडस्ट्री भी बदल चुकी है।

अस्सी के दशक के बाद फिल्मों का कथानक बदलने लगे। फिल्में अब यथार्थ से ज्यादा कल्पना लोक की कहानियों पर बनने लगी। नाच, गाना, आइटम सांग, देश-विदेश के खूबसूरत लोकेशन फिल्मों में मुख्य हो गये। इसी दौर में पंजाबी कलाकारों, परिवारों, निर्माता एवं निर्देशकों का प्रभुत्व भी बढ़ा। जौहर परिवार, कपूर परिवार, चोपड़ा परिवार और खान परिवार का दबदबा बढ़ा।

बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है। बॉलीवुड के पहले शो मैन राज कपूर का परिवार सबसे मजबूत माना जाता है। लगभग चार पीढ़ियों से इस परिवार के लोग बॉलीवुड में हैं। इनकी पूरी फैमिली फिल्मों का ही काम करती है जिसमें फिल्म निर्माण, डायरेक्शन, एक्टिंग और अन्य काम शामिल है।

सबसे पहले भाई-भतीजावाद के आरोप राज कपूर पर लगे। उन पर आरोप था कि वे अपने परिवार और खास लोगों को ही फिल्मों में काम देते हैं, राज कपूर ने ज्यादातर फिल्में अपने परिवार के लोगों के साथ ही बनाईं थीं।

कपूर खानदान में पृथ्वी राजकपूर से शुरू होकर यह सिलसिला चौथी पीढ़ी तक चला आया है। इसी तरह महेश भट्ट, फिरोज खान, राकेश रोशन, बोनी कपूर ,सलमान खान, फरहान अख्तर, करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे लोगों के खानदान की दो-तीन पीढ़ियों से लोग इंडस्ट्री में काम करते आ रहे हैं। इन खानदानों के लोग वर्षों से एक दूसरे से अच्छे ताल्लुक रहने पर एक दूसरे को काम देने दिलाने में मदद करते रहते हैं।

बॉलीवुड में ही नहीं किसी भी फील्ड में भाई-भतीजावाद अघोषित रूप से चलता है। इन एक्टर्स के पापा, दादा यदि फिल्मों से ताल्लुक रखते रहे हों तो इन्हें अपनी लाइन क्लियर दिखती है। इनके लिए रास्ता आसान हो जाता है। किसी भी फील्ड में जुगाड़ की गाड़ी चलाने के लिए ज्यादातार लोग एक ‘गॉडफादर’ का होना जरूरी समझते हैं।