शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच पिछले छह दिनों से चला आ रहा गतिरोध टूट गया जब निलंबित विधायकों को छोड़ कांग्रेस के शेष सदस्य सदन में आ गए।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के आदेश पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने पांच विधायकों का निलंबन रद्द करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
सत्तापक्ष और विपक्ष में गतिरोध तोड़ने के लिए विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज, माकपा विधायक राकेश सिंघा और कांग्रेस की आशा कुमारी सहित कुछ सदस्य भी शामिल रहे।
राज्यपाल से दुर्व्यवहार के बाद से लेकर प्रतिपक्ष के नेता सहित पांच सदस्यों के निलंबन के कारण कांग्रेस शुक्रवार को भी सदन के अंदर नहीं आई। मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष चाहते थे कि बजट की प्रस्तुति के समय दोनों पक्षों की मौजूदगी रहे इसलिए गतिरोध तोड़ने की पहल की गई।
उल्लेखनीय है कि 26 फरवरी को बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पूरा अभिभाषण ना पढ़ने के बाद उनके साथ हुई बदसुलूकी के बाद नेता प्रतिपक्ष सहित कांग्रेस के पांच विधायक निलंबित कर दिए गए थे। इनमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, सतपाल रायजादा, हर्षवर्धन चैहान, सुंदर सिंह ठाकुर और विनय कुमार शामिल थे। पांचों विधायक विधानसभा परिसर के बाहर धरने पर बैठे रहे। ज्ञात रहे कि कल छह मार्च को राज्य का बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना है लेकिन कांग्रेस के सदस्य विधानसभा में नहीं आ रहे हैं।
प्रस्ताव में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन को बताया कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के निर्देश पर कांग्रेस के पांच विधायकों को निलबिंत किया गया था। अब नियम 319 के तहत उनके निलंबन के वापस लेते हैं। उन्होंने सदन में कहा कि विपक्ष के विधायकों और सत्तापक्ष के मंत्रियों के बीच वार्ता हुई है और सभी ने निलंबन को निरस्त करने की बात रखी है। इसके बाद कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सूझबूझ से विवाद को खत्म करने का निर्णय लिया है जिसका विपक्ष स्वागत करता है क्योंकि लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष से चलता है। प्रस्ताव पर ठाकुर रामलाल, कर्नल धनी राम शांडिल और सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से चलनी चाहिए और पक्ष और विपक्ष दोनों को इसमें सहयोग देना चाहिए।
बाद में मुख्यमंत्री ने कहा कि पक्ष और विपक्ष में नोक-झोंक होती रहती है लेकिन विवाद को बढ़ाना भी लोकतंत्र के लिहाज से सही नहीं है। विवाद का समाधान हमेशा संवाद होता है इसलिए आज पहल हुई और वार्ता सफल भी रही। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की खूबी है कि विपक्ष का सदन में होना जरूरी है। विधानसभा अध्यक्ष ने निलंबित विधायकों के निलंबन को निरस्त करने के लिए लाए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।