अजमेर। वर्तमान भारत में बेरोजगारी की समस्या लगातार अपना विकराल रूप लेती जा रही है। विश्व में सर्वाधिक युवा आबादी वाला भारत देश भारत है। भारत की कुल जनसंख्या में 35.6 करोड युवा है। बढती बेरोजारी ने वर्तमान में हमारे युवाओं को हताशा व निराशा की ओर धकेल दिया है। ये बात शनिवार को भगवानगंज स्थित आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यायल में छात्रों को सम्बोधित करते हुए डाॅ संत कुमार ने कही।
स्वदेशी जागरण मंच अजयमेरू के तत्वावधान में स्वदेशी पखवाडे के तहत बोलते हुए डाॅ संत कुमार ने कहा कि वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों ने हमारे देश के परम्परागत लघु एवं कुटीर उद्योगों को समाप्त कर दिया है। प्राचीन समय में गांव आत्मनिर्भर हुआ करते थे। आवश्यकताओं की सभी वस्तुओं का उत्पादन गांव में होता था।
परन्तु विदेशी कम्पनियों के आगमन ने हमारे लद्यु व कुटीर उद्योगों के उत्पादन को समाप्त कर बेजरोजगारी को बढावा दिया है। लघु व कुटीर उद्योगों के बंद होने से वहां कार्य करने वाले देश के मध्यमवर्ग के परिवारों पर रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है। तेली समाज, रैदास समाज, लुहार समाज, बुनकार समाज, बढई समाज, गांव में छोटी दुकान चलाने वाले बनिए आदि समाज के प्रत्येक वर्ग को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने प्रभावित किया है।
डाॅ कुमार ने बताया कि भारत के प्रत्येक परम्परागत त्यौहारों में आज चीन उत्पादित समान ने हमारे घरों तक पहुंच बना ली है, परिणाम स्वरूप त्यौहार हमारे हो गए है और लाभ विदेशी कम्पनियों का हो रहा है। चीन द्वारा हमारे पडौसी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देकर भारत को तोडने की साजिश पर बडे अभियान चलाए जा रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही है। ऐसे में हमें मन से स्वदेशी उत्पाद को स्वीकार करना चाहिए।
स्वदेशी जागरणा मंच के महानगर संयोजक डाॅ कुमार ने बताया कि बेरोजगारी की इस विकराल समस्या का एक मात्र समाधान स्वदेशी उत्पादों का उपयोग कर हमारे परम्परागत लद्यु व कुटीर उद्योगों का संरक्षण।
इससे पूर्व अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का विधिवत् शुभारंभ किया गया। प्रधानाध्यापक मिट्ठुलाल ने अतिथियों को स्वागत किया। इस अवसर पर सभी विद्यार्थियों द्वारा स्वदेशी उत्पादन उपयोग करने की प्रतिज्ञा ली। मंच का संचालन प्रीति शर्मा ने किया। ऋतु परिहार महानगर संयोजिका स्वदेशी जागरण मंच सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।