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swami basantaraam maharaj 117th birth and chhath mahotsav havan-स्वामी बसंतराम महाराज के 117वें जन्म व छठी महोत्सव का हवन - Sabguru News
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स्वामी बसंतराम महाराज के 117वें जन्म व छठी महोत्सव का हवन

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स्वामी बसंतराम महाराज के 117वें जन्म व छठी महोत्सव का हवन

अजमेर। प्रेम प्रकाश आश्रम मार्ग, वैशाली नगर स्थित प्रेम प्रकाश आश्रम में पिछले पांच दिनों से चल रहे सत्गुरू स्वामी बसंतराम महाराज के 117वें जन्म व छठी महोत्सव का समापन अत्यन्त हर्शोल्लास से स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।

आश्रम के संत ओमप्रकाश शास्त्री ने बताया कि कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर सुबह 9 से स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज द्वारा सर्वजनहिताय सर्वजन सुखाय की भावना के साथ विश्व कल्याणार्थ वैदिक मन्त्रोचारण से हवन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।

पूर्णाहूति के बाद 10.30 बजे शहनाई वादन के साथ सनातन धर्म का प्रतीक ‘प्रेम प्रकाष ध्वज’ का ध्वजावन्दन ‘हम गीत सनातन गाएंगे नित झण्डा धर्म झुलाएंगें’ भजन के साथ हुआ। उसके बाद प्रेम प्रकाश ग्रन्थ व श्रीमद् भगवद् गीता का समापन (भोग) हुआ।

वेदांत केसरी 108 सत्गुरू स्वामी बसंतराम महाराज के परम शिष्य स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री ने अपने प्रवचन में बताया कि स्वामी बसंतराम को भक्ति रूपी अध्यात्मिक संस्कारों का बीजारोपण बचपन में ही उनके माता-पिता के दिये संस्कारों से हो गया था।

उनके पिताजी बचपन में उनको संतों महात्माओं के सत्संग में ले जाते थे। जब उनके पिताजी सत्संग में नहीं जा पाते थे, तो वो अपने बालक बसंत को भेंट स्वरूप कुछ पैसे देते थे कि बालक बसंत सत्संग में जाये एवं ध्यानपूर्वक सत्संग सुनकर घर आकर उन्हें सुनाए।

इस प्रकार बालक बसंत में सत्संग का बीजारोपण हुआ एवं सत्संग में रूची बढ़ती गई। हमें भी अगर अपने बच्चों को संस्कारी व सुशिक्षित करना है तो पहले हमें स्वयं का सुधार करना होगा। हमारी स्वयं की मनोवृत्ति को भजन स्मरण की ओर अग्रसर करना पड़ेगा। स्वयं की विचारधारा को सकारात्मक करके नयी पीढ़ी के समक्ष अपना उदाहरण प्रस्तुत करना पड़ेगा। प्रवचन के पष्चात आम भण्डारा हुआ।

सायंकालीन सत्संग सभा में संत हनुमान, संत राजूराम, संत ओमप्रकाष व स्वामी टेऊंराम भजन मण्डली, सूरत के प्रतापराय तनवानी ने भजन संध्या में अपनी प्रस्तुतियां दी। जिसमें उन्होंने सैकड़ों उपस्थित श्रद्धालुओं को स्वामी बसंतराम महाराज के बताए रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी।

संत ओम प्रकाश ने सत्गुरू स्वामी बसंत राम महाराज की जीवनी पर प्रकाष डालते हुए कहा कि स्वामी बसंतराम महाराज का जीवन चरित्र अमर है, उन्होंने अपने गुरू सद्गुरू स्वामी टेऊंराम महाराज जी की षरण में रह कर नाम स्मरण के पथ पर आगे बढ़ने का प्रण लिया। स्वामी बसंतराम महाराज की प्रवृत्ति सेवा प्रदान थी। उनके जीवन में कई ऐसे प्रसंग आए हैं जिसमें उन्होंने समाज सेवा को काफी महत्व दिया था।

उनके द्वारा जारी किए गए सेवा कार्यों से प्रेरित होकर स्वामी बसंतराम सेवा ट्रस्ट की स्थापना की गई। वर्त्तमान में स्वामी बसंतराम सेवा ट्रस्ट स्वामी ब्रह्मानन्द के मार्गदर्शन में समाज सेवा कार्य में अनवरत रूप से कार्यशील है। उसके बाद 117 दीपों के प्रज्वलन के साथ आरती हुई। तत्पश्चात् पल्लव (अरदास) पाकर प्रसाद वितरण के साथ उत्सव का समापन हुआ।

संत ओमप्रकाश ने 5 दिवसीय कार्यक्रम में पधारे सभी संतों, श्रद्धालुओं व सहयोग प्रदान करने वालों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रेम प्रकाश सेवादारी मण्डल के सदस्य झामनदास भगतानी, हशू आसवानी, निरंजन जोशी, तारा, राधा विधानी, सरिता, वर्षा टिलवानी, गौरांगी तीर्थानी, गीता मोदयानी, काजल जेठवानी आदि सेवादारियों का सहयोग सराहनीय रहा।