नरसिंहपुर। ज्योतिष एवं द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बृह्मलीन होने के एक दिन बाद आज मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित झोतेश्वर धाम परिसर में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के बीच किया गया। वहीं दोनों ही पीठों के नए शंकराचार्य घोषित भी किए गए।
बृह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निज सचिव सुबुद्धानंद बृह्मचारी ने शंकराचार्य की वसीयत के अनुरूप द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामी सदानंद सरस्वती और ज्योतिष पीठ (बद्रिकाधाम) के शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का नाम घोषित किया।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 98 वर्ष के थे और रविवार को दिन में उन्होंने नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव के समीप झोतेश्वर धाम परिसर में अंतिम सांस ली। उनके देवलोक गमन की सूचना के बाद लाखों की संख्या में भक्त और शिष्य झोतेश्वर धाम पहुंचे और शंकराचार्य की पार्थिवदेह के अंतिम दर्शन आज अंतिम संस्कार के पहले तक किए। इसके बाद पूर्ण राजकीय सम्मान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच झोतेश्वर धाम परिसर में ही एक मंदिर के समीप उनकी ‘भूसमाधि’ की विधि पूर्ण की गयी।
इसके पहले आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान झोतेश्वर धाम पहुंचे और उन्होंने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के अंतिम दर्शन कर उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए। उनके साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनेक नेता मौजूद थे। दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी सुबह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थिव देह के दर्शन किए।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म वर्ष 1924 में नरसिंहपुर जिले से सटे सिवनी जिले के दिघौरी में हुआ था। उनके भक्त देश विदेश में फैले हुए हैं। शंकराचार्य के बृह्मलीन होने की सूचना के बाद से ही उनके भक्त यहां पहुंच रहे हैं।