अजमेर। सत्गुरू स्वामी टेऊंराम महाराज के पांच दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम का तीसरे दिन प्रेम प्रकाश आश्रम वैशाली नगर में शिवपंचामृत, शिवाभिषेक, श्रंगार एवं भस्मारती के साथ शुभारंभ हुआ।
आश्रम के संत ओमप्रकाशजी ने बताया कि 9 बजे से संतों महात्माओं के सत्संग के बाद अहमदाबाद से आई बहन पुष्पा, ग्वालियर के संत हरि ओमलाल, संत हनुमान आदि के प्रवचन हुए। प्रेम प्रकाश मण्डलाध्यक्ष स्वामी भगतप्रकाश महाराज ने कहा कि हमें अनेक योनियों के बाद मानव देह मिली है जिसका सदुपयोग करो, स्वयं को पहचानों।
किसी गुरू के मार्गदर्शन से ही हम इस मार्ग पर आगे बढ़ पाएंगे। अभिमान, अहंकार त्याग कर अपने मन में प्रभु के प्रति सच्चा प्रेम जागृत करें। सुख-दुःख हमारे जीवन में आते जाते रहेंगे। यह चक्र तो जीवन भर चलेगा, परन्तु सच्चा सुख हमें अपने अन्दर जाकर आत्म-साक्षात्कार करने से मिलेगा।
गुरू चरणों में काम, क्रोध आदि विसंगतियों को छोड़ मन को झुकाओगे तो गुरू की अनन्त कृपा आप पर होगी तथा भक्ति रूपी खजाने से आपका जीवन सफल हो जाएगा।
शाम के सत्र में 4.30 बजे से दिल्ली की प्रसिद्ध मनोज-रिया एण्ड पार्टी द्वारा श्री गणेश वंदना, श्रीबालाजी महाराज वानर सेना के साथ, शिव-पार्वती विवाह, कृष्ण-सुदामाप्रसंग, मोरपंख की झांकी, भोलेबाबा की भस्म आरती आदि की चल-चलित झांकियों की मनमोहक प्रस्तुति दी गई।
सत्संग में आश्रम के महंत स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री ने श्रद्धालुओं को कुसंग व बुरी आदतों से किनारा कर सुन्दर भविष्य निर्माण के लिए सत्षास्त्र अध्ययन, ध्यान, संतों महात्माओं के संग, मन एकाग्र आदि सद्प्रवृत्तियों की ओर प्रेरित किया।
कुसंग, असत्य वचन, पराई निन्दा, व्यर्थ के कामों में समय नष्ट करना, इन सब से जितना जितना हो सके बचें। सत्संग, शास्त्र पाठ, आदि सत्कर्म करने चाहिए। प्रेम प्रकाश आश्रम के महामण्डलेश्वर स्वामी भगतप्रकाश महाराज ने प्रेरणादायी प्रवचन देते हुए कहा कि नाम स्मरण से हमारे जन्म जन्मांतर के पाप कट जाते हैं। निरंतर गुरू शब्द का स्मरण गुरू के बताए हुए तरीके से करने से अपनी सूरत गुरू शब्द में लगती है जिस से अंतर में अनन्तप्रकाश की ज्योति प्रकाशित होती है। इस ज्योति स्वरूप परमात्मा से हमारा आत्म साक्षात्कार हो जाता है। एवं हमारा जीवन सफल हो जाता है। हमारी संसारिक मोहवृत्ति से पूर्णतः निवृत्ति हो जाती है।
मंगलवार के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए आश्रम के संत ओमप्रकाश ने बताया कि सुबह 8 बजे से 9 बजे तक सामूहिक ध्यान होगा। फिर 9 से 11.00 बजे तक सत्संग तथा बाद में ब्रह्मभोज होगा। शाम की सभा में बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद संत महात्माओं के भजन-कीर्तन व सत्संग-प्रवचन होंगे।