चेन्नई। तमिलनाडु की एक अदालत ने राज्य के युवा कल्याण एवं खेल विकास मंत्री पी बालाकृष्ण रेड्डी को वर्ष 1998 में दर्ज पथराव के मामले में सोमवार को तीन वर्षाें के कारावास की सजा सुनाई।
विधायकों और सांसदों के विरुद्ध मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत की न्यायाधीश जे शांति ने यहां मामले की सुनवाई के बाद रेड्डी को यह सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने का मौका देते हुए सजा को फिलहाल स्थगित रखा है।
अदालत ने इस मामले के कुल 108 आरोपियों में से मंत्री समेत 16 लोगों को दोषी ठहराया तथा सजा सुनायी। अदालत ने रेड्डी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
गौरतलब है कि वर्ष 1998 में कृष्णागिरी जिले के होसुर के पास बगालुर में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों को लेकर विरोध-प्रदर्शन की यह घटना सरकारी बसों पर हुए पथराव से जुड़ी हुई है जिसमें श्री रेड्डी को भी आरोपी बनाया गया था। उस समय रेड्डी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए थे।
रेड्डी को सुनाई गई चूंकि दो साल से अधिक अवधि की है इसलिए लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत उनकी विधान सभा की सदस्यता भी स्वत: समाप्त हो जाएगी। रेड्डी पर तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति (क्षति रोकथाम) कानून के तहत यह मामला दर्ज किया गया था।
रेड्डी ने विशेष अदालत में एक मेमो फाइल किया कि वह इस आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे जिसके बाद न्यायाधीश ने उन्हें सुनाई गई सजा को स्थगित कर दिया ताकि वह उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकें।
इस आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रेड्डी ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि वह इसके खिलाफ मंगलवार को उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन द्रमुक सरकार ने वर्ष 1998 में यह मामला तब दर्ज किया था जब उन्होंने जहरीली शराब पीने से 33 लोगों की मौत के विरोध में अवैध शराब माफिया के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन में भाग लिया था।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती द्रमुक सरकार ने मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आने से द्रमुक के हाथ में एक नया राजनीतिक मुद्दा हाथ लगने की संभावना है।