- ई-वेस्ट पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिये अभियान
- ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स स्थापित कर जिम्मेदार पुनःचक्रण को बढ़ावा देने के लिये टाटा क्लिक और करो संभव के साथ भागीदारी
राष्ट्रीय, 23 अप्रैल, 2019: हम लगातार उभर रहे डिस्पोजेबल इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों के डिजिटल युग में रहते हैं, जहाँ ई-वेस्ट 30 प्रतिशत की सीएजीआर दर से बढ़ रहा है और एसोचैम के अनुसार यह वर्ष 2020 तक 5.2 एमटी प्रतिवर्ष तक पहुंचने की अपेक्षा है। ई-वेस्ट के जिम्मेदार पुनःचक्रण को बढ़ावा देने के लिये टाटा पावर ने टाटा क्लिक के साथ मिलकर 22 से 28 अप्रैल को ‘पृथ्वी सप्ताह’ नामक एक अभियान शुरू किया है, ताकि ई-वेस्ट के प्रबंधन पर सही समाधान मिले।
टाटा पावर ने भारत के अग्रणी ई-वेस्ट प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सेबिलिटी ऑर्गेनाइजेशन ‘करो संभव’ के साथ हाथ मिलाया है। यह कैम्पेन भारत के ‘रिफ्लेक्स जनरेशन’ की भागीदारी से ई-वेस्ट का जिम्मेदार पुनःचक्रण चाहता है। यह उपभोक्ता वर्ल्ड एनवायरनमेन्ट डे या अर्थ डे जैसे किसी विशेष दिन कोई बड़ी चेष्टा कर अपनी प्रतिबद्धता को सीमित नहीं रखते हैं, बल्कि नियमित आधार पर पर्यावरण हितैषी बनने के लिये छोटे, लेकिन स्थायी कदम उठाते रहते हैं।
सक्रिय भागीदार www.tatapower.com/BetterEarth पर जाकर अपना समर्थन जता सकते हैं और अपना ई-वेस्ट भारत में नजदीकी कलेक्शन सेंटर पर जमा कर सकते हैं:
1.करो संभव कलेक्शन सेंटर्स- भारत में 176 सेंटर
2.टाटा पावर मुंबई कस्टमर सेंटर्स- मुंबई में 13 सेंटर्स
3.टीपीडीडीएल कस्टमर सेंटर्स
4.टाटा पावर मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर ऑफिस
करो संभव की कैम्पेन वेबसाइट पर पिक-अप के लिये बुकिंग करने पर ई-वेस्ट के बड़े परिमाण (50 कि.ग्रा. से अधिक, जैसे रेफ्रीजरेटर्स, वाशिंग मशींस, एयर कंडीशनर्स, आदि) के लिये पिक-अप सेवा (केवल दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बैंगलोर और कोलकाता के लिये) भी मिलेगी। भागीदारी को बढ़ाने के लिये टाटा पावर 50 किलोग्राम से कम ई-वेस्ट के लिये 200 रू. तक के टाटा क्लिक ई-वाउचर्स और 50 किलोग्राम से अधिक का ई-वेस्ट जमा करने पर 500 रू. तक के ई-वाउचर्स ईनाम के तौर पर देगा।
इस कैम्पेन पर टिप्पणी करते हुए टाटा पावर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर सिन्हा ने कहा, ‘‘टेक्नोलॉजी में तीव्र प्रगति के कारण हमारे उपयोग में आने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक यंत्र बेहद कम समय में पुराने हो जाते हैं। हमारी जैसी चक्रीय अर्थव्यवस्था में ई-वेस्ट पुनःचक्रण के लिये असीम संभावनाएं हैं और इसलिये इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उपयुक्त निपटान महत्वपूर्ण है। इस कैम्पेन के माध्यम से हम भारत की ‘#ReflexGeneration’ की सक्रियता को बढ़ावा देना चाहते हैं। इस पहल के लिये हम टाटा क्लिक और करो संभव के साथ जुड़कर प्रसन्न हैं और जिम्मेदार पुनःचक्रण के महत्व को पुनःपरिभाषित करने की उम्मीद करते हैं।’’
कैम्पेन के सप्ताह की शुरूआत 22 अप्रैल, 2019 को टाटा पावर के फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया हैण्डल्स पर इस चर्चा के साथ होगी कि ई-वेस्ट के उपयुक्त पुनःचक्रण से जलवायु परिवर्तन की समस्या का निदान कैसे हो सकता है। इस कैम्पेन का प्रचार विभिन्न मंचों पर किया जाएगा, जैसे टाटा ग्रुप के इंटरनल प्लेटफॉर्म्स- संगम, टाटा वर्ल्ड और टाटा क्लिक एम्प्लॉई मेलर, पोर्टल और एक्सटर्नल प्लेटफॉर्म्स- टाटा पावर सोशल मीडिया, टाटा क्लिक सोशल मीडिया, करो संभव सोशल मीडिया और टाटा पावर मुंबई एवं दिल्ली के ग्राहक (मेलर्स/व्हाट्सएप)।
नियम एवं शर्तें:
- 10 प्रतिशत सीधी छूट। न्यूनतम खरीदारी मूल्य 1000 रू.। अधिकतम छूटः 200 रू.। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं फैशन कैटेगरी में वैध। ऑफर उन सभी यूजर्स के लिये, जो एसी, रेफ्रीजरेटर, लैपटॉप, टेलीविजन और वाशिंग मशीन को छोड़कर योग्य ई-वेस्ट देते हैं।
- 10 प्रतिशत सीधी छूट। न्यूनतम खरीदी मूल्य 2000 रू.। अधिकतम छूटः 500 रू.। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं फैशन कैटेगरी में वैध। ऑफर उन सभी यूजर्स के लिये, जो ई-वेस्ट के तौर पर एसी, रेफ्रीजरेटर, लैटटॉप, टेलीविजन और वाशिंग मशीन जमा करते हैं।
- ऑफर केवल टाटा क्लिक मोबाइल ऐप्लीकेशन पर लागू होगा।
* भारत की ‘रिफ्लेक्स जनरेशन’
पर्यावरण पर विचार करने का आइडिया वचनबद्ध लोगों द्वारा पूर्व-नियोजित, प्रभावशाली, बेहद सार्वजनिक, सामूहिक कार्यों, जैसे मार्चेज, धरना, याचिकाओं से सामने आया है – यह व्यक्तिगत पसंद और हर दिन लिए जाने वाले निर्णयों पर आधारित लोक आंदोलन की दिशा में अग्रसर है। यह ‘सूक्ष्म-सक्रियतावाद’ कम प्रभावी नहीं है, यह उन समुदायों और समूहों को एकजुट करता है, जो घर और ऑफिस में अपनी दैनिक चर्या से पर्यावरण के प्रति जागृति को परिभाषित करते हैं। ऐसे लोगों के लिये पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना स्वाभाविक बन गया है; यह ऐसा रिफ्लेक्स है जो उनके द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों को परिभाषित करता है।
भारत की ‘रिफ्लेक्स नरेशन’ का प्रभाव कार्यस्थल पर प्रत्यक्ष है; आज संभावित कर्मचारी अपने निर्णय का आधार नियोक्ता की पर्यावरण सम्बंधी उपलब्धियों को बना रहे हैं। डेलोइट के वार्षिक जनरेशन वाई सर्वे के अनुसार 76 प्रतिशत भारतीय युवाओं ने ऐसे नियोक्ताओं को चुनने का दावा किया, जिनके मूल्य उनके समान हैं; एक अन्य शोध द्वारा समर्थित परिणाम बताता है कि युवा ऐसे नियोक्ता पसंद करते हैं, जो कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व, पर्यावरण और स्थायित्व के लिये ‘उचित प्रतिबद्धता’ दर्शाते हैं।
लोगों द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा पर सचेत होने का एक संकेत यह है कि वह छोटे पैमाने पर, लेकिन स्थायी रूप से हरित उत्पाद खरीद रहे हैं। डेलोइट के एक अध्ययन में 1 लाख रू. या इससे अधिक मासिक वेतन वाले परिवारों के 38 प्रतिशत लोगों ने पर्यावरण-हितैषी उत्पादों के लिये 10 प्रतिशत अधिक राशि या अधिक प्रीमियम का भुगतान करने की इच्छा जाहिर की। अन्य शोध बताते हैं कि 95 प्रतिशत लोग ऐसे ब्राण्ड्स चाहते हैं, जो जिम्मेदार व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं।
अंततः आज के पर्यावरण संरक्षकों ने ऐसी जीवनशैली अपनाई है, जो उनके दैनिक जीवन में पर्यावरण की चिंता के दर्शन पर आधारित है। दैनिक उपयोग के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति रूचि एक अन्य उदाहरण है कि भारत के युवा पर्यावरण के प्रति अधिक सचेत हो रहे हैं। विश्वभर में 81 प्रतिशत उपभोक्ता सामाजिक, पर्यावरणीय समस्याओं को सम्बोधित करने के लिये ‘व्यक्तिगत बलिदान’ का दावा करते हैं। यह भारत की ‘रिफ्लेक्स जनरेशन’ के हृदय में ‘सूक्ष्म-सक्रियतावाद’ का प्रतिबिंब दर्शाता है।