नई दिल्ली। टाटा सन्स ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के उस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें सायरस मिस्त्री को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर बहाल करने का आदेश दिया गया है।
एनसीएलएटी ने 18 दिसम्बर 2019 को सायरस मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाने के फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण का आदेश खारिज कर दिया था तथा उन्हें फिर से बहाल करने का आदेश भी जारी किया था।
टाटा सन्स ने अब अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है और उसके आदेश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। शीतकालीन अवकाश के बाद अगले सोमवार (छह जनवरी) को जब शीर्ष अदालत खुलेगी तो याचिका पर त्वरित सुनवाई की मांग भी की जा सकती है।
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को सायरस मिस्त्री को एनसीएलएटी से बड़ी राहत मिली थी जब उसने एन चंद्रा की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति को अवैध ठहराया था और सायरस को इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया था।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने हालांकि शीर्ष अदालत में अपील करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था और तब तक के लिए फैसले पर रोक लगा दी थी।
उल्लेखनीय है कि एनसीएलटी ने नौ जुलाई 2018 के अपने फैसले में कहा था कि टाटा सन्स का बोर्ड सायरस मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाने के लिए सक्षम था। सायरस को इसलिए हटाया गया था, क्योंकि कंपनी बोर्ड और बड़े शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं रहा था।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2016 में सायरस मिस्त्री टाटा सन्स के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाए गए थे। दो महीने बाद मिस्त्री की ओर से सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को एनसीएलटी की मुंबई पीठ में चुनौती दी थी।
कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के मुताबिक नहीं था। जुलाई 2018 में एनसीएलटी ने उनके दावे को खारिज कर दिया था, जिसके बाद सायरस मिस्त्री ने खुद एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की थी।