नयी दिल्ली । सरकार ने कहा है कि अमेरिका के भारतीय उत्पादों पर से कर छूट वापस लेने से दोनों देशों के आपसी व्यापार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
वााणिज्य सचिव अनूप वधावन ने मंगलवार को यहां अपने कार्यालय में संवाददाताओं को बताया कि अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात में कर छूट वाले उत्पादों की संख्या कम है अौर इनका निर्यात मूल्य अपेक्षाकृत कम होता है। उन्होेंने बताया कि अमेरिका ने भारत को अपनी सामान्य वरीय प्रणाली (जनरलाइज सिस्टम आफ प्रेफरेंस- जीपीएस) से बाहर करने के लिए 60 दिन का नोटिस दिया है।
वधावन ने कहा कि इस प्रणाली से बाहर होने से भारतीय उत्पादों को मिलने वाली 19 करोड डालर की छूट समाप्त हो जाएगी। इससे लगभग 2000 भारतीय उत्पादों का 560 करोड़ डालर का निर्यात प्रभावित होगा। इनमें आभूषण्, हस्तशिल्प और चमड़ा उत्पाद तथा परिधान भी शामिल हैं।
वधावन ने बताया कि पिछले साल अप्रैल में अमेरिका ने भारत को जीएसपी के तहत लाभों की समीक्षा शुरू की थी। इस संबंध में दोनों देशों के बीच लगातार बैठकें होती रही है और आपसी सहमति से व्यापार के नियम और प्रावधान होते रहे हैं। साधारण तौर पर जीएसपी के तहत मिलने वाले लाभ विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को दिये जाते हैं।
उन्होेंने बताया कि शुरूआत में जीएसपी की समीक्षा में केवल चिकित्सा उपकरण अौर डेयरी उत्पाद शामिल थे लेकिन बाद में इसका दायरा आपसी सहमति से बढ़ता गया। इनमें कृषि एवं पशुपालन के उत्पादों की बाजार पहुंच, दूरसंचार उपकरण एवं सेवायें, सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण एवं सेवायें शामिल हैं।
वाणिज्य सचिव ने कहा कि भारतीय उत्पादों पर अमेरिकी आपत्तियों पर संबंधित मंत्रालयों और विभागों से गहन चर्चा की गयी और भारतीय सहमतियों के अनुसार इन आपत्तियों का निराकरण किया गया या उन्हें खारिज कर दिया गया। उन्होेंने कहा कि चिकित्सा उपकरणों से संबंधित आपत्तियों को निराकरण नियत समय के भीतर किया जाएगा।
उन्होेंने कहा कि भारत में आयात शुल्क अधिक होने की बात बार बार उठायी जाती है लेकिन यह विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के अनुसार है। सामान्य तौर पर भारत में आयात शुल्क औसतन 7.6 प्रतिशत है जो अन्य विकासशील देशों के आयात शुल्क के ही समान है। वधावन ने कहा कि भारत में सभी संबंधित मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाने लिये प्रतिबद्ध है और आपसी सहमति से इन्हें सुलझाया जाएगा।