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जौहर यूनीवर्सिटी की 458.50 एकड़ जमीन का कब्जा लेने पहुंचे तहसीलदाऱ - Sabguru News
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जौहर यूनीवर्सिटी की 458.50 एकड़ जमीन का कब्जा लेने पहुंचे तहसीलदाऱ

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जौहर यूनीवर्सिटी की 458.50 एकड़ जमीन का कब्जा लेने पहुंचे तहसीलदाऱ

रामपुर। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद रामपुर में समाजवादी पार्टी सांसद आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी की 458.50 एकड़ जमीन को कब्जे में लेने की कार्यवाही जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है।

इस परिप्रेक्ष्य में जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण की तैयारी कर रहा है और आज तहसीलदार ने यूनीवर्सिटी पहुंच कर कार्यकारी अधिकारी को नोटिस देकर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए। बावजूद इसके तहसीलदार ने जमीन को जब्त करने की प्रक्रिया को जारी रखा।

गौरतलब है कि सपा सांसद के कुलाधिपति वाले जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2005 में तत्कालीन सरकार ने जौहर यूनिवर्सिटी के लिए 12.5 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी थी। साथ ही और जमीन खरीदने की अनुमति शर्तों पर तत्कालीन सरकार ने दी थी।

कुल मिलाकर तत्कालीन शासन ने करीब 458.50 एकड़ जमीन को अधिग्रहीत करने का हक ट्रस्ट को दिया था। इसमें शैक्षिक कार्य और सरकारी कार्य का उददेश्य निहित था लेकिन ट्रस्ट ने नियमों को ताक पर रखकर किसानों से जमीन को अधिग्रहीत किया। साथ ही शत्रु सम्पत्ति, नहर विभाग और सरकारी जमीन पर भी ट्रस्ट ने कब्जा जमा लिया।

कुल मिलाकर करीब 471 एकड़ जमीन पर यूनीवर्सिटी और परिसर का निर्माण किया गया। इसकी शिकायत 26 काश्तकारों ने अदालत में की। इसको लेकर आजम खां पर कई मुकदमें आयद हुए। वहीं भाजपा नेता आकाश सक्सेना उर्फ हनी ने जमीन की खरीद के समय तय शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया कि जमीन का प्रयोग शैक्षिक कार्य में नहीं किया जा रहा। साथ छात्रों से मोटी फीस वसूली जा रही है। यूनीवर्सिटी में मस्जिद का निर्माण होना भी बताया गया।

डीएम के निर्देश पर तत्कालीन एसडीएम सदर पीपी तिवारी ने शिकायत की जांच की और शिकायत सही बताते हुए डीएम को रिपोर्ट सौंपी थी। इस पर डीएम कोर्ट में इस मामले को वाद के तौर पर दर्ज किया गया, जिसकी सुनवाई एडीएम (प्रशासन) की कोर्ट में चल रही थी।

16 जनवरी 2021 को एडीएम (प्रशासन) जगदंबा प्रसाद गुप्ता की कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें जौहर यूनिवर्सिटी की 12.5 एकड़ जमीन को छोड़कर शेष 458.50 एकड़ जमीन को राज्य सरकार में निहित करने का आदेश दिया गया था। साथ ही कोर्ट ने जमीन पर कब्जा लेने के लिए एसडीएम सदर को आदेशित किया था।

जौहर ट्रस्ट की ओर से एडीएम (प्रशासन) की कोर्ट से आए 16 जनवरी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई चल रही थी। सात सितंबर को हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुना दिया। जिसमें जौहर ट्रस्ट की याचिका को खारिज कर दिया गया और हाईकोर्ट ने अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।

लिहाजा, अब जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से तहसीलदार को पत्र भेजा गया कि हाईकोर्ट ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। ऐसे में जमीन राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट शासन को भेजी जाए, ताकि इस संबंध में अग्रिम कार्रवाई की जा सके।