स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस के नौसेना संस्करण के विकास की दिशा में एक अहम काम कर दिखाया। तेजस ने विमान वाहक पोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) पर उतरने की अपनी काबिलियत दिखाई। विमानवाहक पोत पर लड़ाकू विमान को ‘अरेस्टेड लैंडिंग’ के तहत उतारा जाता है।
क्या है अरेस्टेड लैंडिंग
इस लैंडिंग के दौरान नीचे से लगे तारों की मदद से विमान की रफ्तार कम कर दी जाती है। तेजस की स्पीड निचे उतरते समय 244 किलोमीटर प्रति घंटा थी और सिर्फ 2 सेकंड में उसे जीरो कर लैंड करके दिखाया गया।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इस सफल परीक्षण से भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में पहुंच गया है जो विमानवाहक पोत पर उतरने में सक्षम जेट विमान का डिजाइन तैयार करने में समर्थ है। बता दे, यह परीक्षण गोवा के एक तट पर किया गया। इस लैंडिंग के दौरान विमान से विमानवाहक पोत का एक तार जुड़ जाता है जिससे उसकी गति बिल्कुल कम हो जाती है।
जानकारी में बता दें, इसके विकास में रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ विमानन विकास एजेंसी, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का विमान अनुसंधान एवं डिजायन केंद्र, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और अन्य संगठन शामिल हैं। मालूम हो कि तेजस विमानों की एक खेप पहले ही भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुकी है।