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तेजस्वी मुखौटा कंपनी के जरिये बने टाटा स्टील की संपत्ति के मालिक : सुशील मोदी
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तेजस्वी मुखौटा कंपनी के जरिये बने टाटा स्टील की संपत्ति के मालिक : सुशील मोदी

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तेजस्वी मुखौटा कंपनी के जरिये बने टाटा स्टील की संपत्ति के मालिक : सुशील मोदी
Tejaswi yadav purchased building of Tata Steel through shell company in patna : Sushil Modi
Tejaswi yadav purchased building of Tata Steel through shell company in patna : Sushil Modi

पटना। बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ बेनामी संपत्ति के मामले में आज एक और खुलासा करते हुए कहा कि नेता प्रतिप्रक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव मुखौटा कंपनी के माध्यम से टाटा स्टील की संपत्ति के मालिक बन बैठे।

मोदी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध कराते हुए बताया कि तेजस्वी यादव एवं लालू परिवार ने फर्जी कंपनी फेयरग्रो होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड का मुखौटे के रूप में इस्तेमाल कर टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की पटना के पॉश इलाके 5,राइडिंग रोड में दो मंजिला मकान सहित जमीन के मालिक बन बैठे। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग ने तेजस्वी की जिस संपत्ति को इस वर्ष 9 फरवरी को जब्त किया, वह संपत्ति टाटा कंपनी की थी।

उप मुख्यमंत्री ने 30 अक्टूबर 2002 के निबंधन दस्तावेज के आधार पर बताया कि टाटा कंपनी के दो मंजिला मकान को जिस फर्जी कंपनी फेयरग्रो ने खरीदा है उसके निदेशक तेजस्वी सहित लालू परिवार है।

संयुक्त बिहार में वर्ष 1990 से 2000 तक और उसके बाद के वर्षों तक यह मकान टाटा कंपनी का कार्यालय और गेस्ट हाउस हुआ करता था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव तथा उनकी पत्नी राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान टाटा कंपनी को अनेक प्रकार से उपकृत किया जाता रहा।

मोदी ने टाटा कंपनी की ओर से लालू परिवार को पहुंचाए गए लाभ का उल्लेख करते हुए कहा कि राजद अध्यक्ष की बड़ी पुत्री मीसा भारती का टाटा मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर में नामांकन योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि टाटा कंपनी के कोटे से हुआ था। वहीं इसी कॉलेज में उनकी एक अन्य पुत्री रोहिणी आचार्य, उनके कबाब मंत्री अनवर अहमद की पुत्री तथा अलकतरा घोटाले के आरोपी इलियास हुसैन की पुत्री आसमा का का नामांकन भी टाटा कंपनी के कोटे से ही कराया गया था।

भाजपा नेता ने कहा कि वर्ष 2002 में जब यह कीमती जमीन और मकान की खरीद दिखाई गई है, उस समय बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थी। उन्होंने बताया कि जमीन और मकान के निबंधन दस्तावेज पर टाटा कंपनी की ओर से प्रभात सिन्हा तथा फेयरग्रो की ओर से राजेश कुमार ने हस्ताक्षर किए थे।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर टाटा कंपनी ने औने-पौने दाम पर एक फर्जी कंपनी को ही अपनी संपत्ति क्यों बेची। टाटा ने झारखंड राज्य का गठन होने के मात्र दो वर्ष के भीतर ही राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में ही अपनी संपत्ति क्यों बेच दी। इसके 10 वर्ष बाद इस फर्जी कंपनी फेयरग्रो सहित टाटा कंपनी के मकान के मालिक तेजस्वी यादव एवं लालू परिवार कैसे हो गए।

मोदी ने कहा कि वर्ष 1990 से 2000 तक लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में टाटा कंपनी पर किए गए उपकार के बदले टाटा स्टील ने प्रेमचंद गुप्ता के लोगों की कंपनी फेयरग्रो को अपनी संपत्ति लिख दी और कुछ वर्ष बाद डिलाइट मार्केटिंग के समान तेजस्वी कंपनी सहित संपत्ति के मालिक बन बैठे। उन्होंने कहा निबंधन दस्तावेज पर फेयरग्रो की ओर से हस्ताक्षर करने वाला यह राजेश कुमार कौन है, जिसने लालू परिवार के लिए 65 लाख रुपए का भुगतान किया।