नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों से देश की कई टेलीकॉम कंपनियां जबरदस्त घाटे में चल रही हैं। इन कंपनियों का दूरसंचार विभाग का करोड़ों का बकाया है। इसी को लेकर इन टेलीकॉम कंपनियों ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में कुछ दिन की और मोहलत देने के लिए गुहार लगाई थी। लेकिन सर्वोच्च अदालत में इन कंपनियों को जबरदस्त फटकार लगाते हुए कहा है कि अब आप को मोहलत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों में हलचल मच गई है।
यही नहीं कोर्ट ने सरकार को भी इस मामले में फटकारा है। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना करने के लिए एयरटेल, वोडाफोन समेत अन्य कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर, सीएमडी को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा कंपनियों, टेलीकॉम विभाग के अधिकारियों को 17 मार्च को समन किया है।
दी गई डेडलाइन पर टेलीकॉम कंपनियाें ने बकाया नहीं चुकाया
टेलीकॉम कंपनियों को शुक्रवार के दिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार था। ये कंपनियां इस उम्मीद में थी कि कोर्ट हमें कुछ दिन की मोहलत और दे देगा, लेकिन अदालत ने सख्त रवैया अपनाते हुए सुखवा रात 12 बजे तक बकाया चुकाने के सख्त आदेश दिए। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने उन्हें शुक्रवार रात 12 बजे से पहले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर भुगतान करने का आदेश दिया था। जिसकी मियादी पूरी हो चुकी है। बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ से अधिक का बकाया चुकाना है।
वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और टाटा टेली सर्विसेज ने दायर की थी याचिका
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को झटका दिया है। दरअसल, एजीआर भुगतान के लिए और समय की मांग करते हुए वोडाफोन-आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेली सर्विसेज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
इस नोटिस में पूछा गया है कि एजीआर पर कोर्ट के आदेश को क्यों नहीं माना गया। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश पर अमल नहीं किए जाने पर कड़ा रूख अपनाया और टेलीकॉम मिनिस्ट्री के डेस्क अधिकारी के एक आदेश पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
टेलीकॉम कंपनियों से लिए जाने वाला यूजेस और लाइसेंस फीस है ‘एजीआर’
टेलीकॉम कंपनियों से टेलीकॉम डिपार्टमेंट एजीआर मांग रहा है। एजीआर, संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं, स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है। सरकार की इस मांग के खिलाफ टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने भी सरकार की मांग को जायज ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2019 के अपने आदेश में टेलीकॉम कंपनियों को 23 जनवरी 2020 तक की मोहलत दी थी। इस डेडलाइन पर रिलायंस जियो ने भुगतान कर दिया था, लेकिन अन्य कंपनियां एक बार फिर मोहलत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट चली गई थीं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार