जयपुर | समाज में महिलाओं और बालिकाओं के प्रति बढ़ती हिंसा की घटनाएं चिन्ता का विषय है। ऐसी स्थिति में अधिवक्ता अपने कर्तव्य के प्रति संवेदनशील बने।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विजय कुमार व्यास ने दी बार एसोसियेशन जयपुर और सेव द चिर्ल्डन द्वारा आयोजित “ बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति हिंसा की रोकथाम ” कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए अधिवक्ताओं से कहा कि यह ध्यान रखना चाहिए कि गवाह और पिड़ित पर किसी भी प्रकार का मनोवैज्ञानिक दवाब ना हो, हमें महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा। इसके लिए समाज की सामंतवादी सोच और व्यवहार को बदलना होगा, नये कानूनों को किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है इसके लिए भी भरपूर प्रयास किये जाने की जरुरत है।
सेव द चिर्ल्डन के राज्य कार्यक्रम प्रबन्धक संजय शर्मा ने बताया कि महिलाओं और बालिकाओं के प्रति हिंसा के मामलों में वृद्वि चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल में 16 हजार मामले शोषण हिंसा के दर्ज हुए जिनमें से मात्र दो हजार का ही निपटारा हुआ है और इनमें से 15 प्रतिशत दोषियों को ही सजा हुई।
इस अवसर पर दी बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष राजेश कर्नल ने कहा कि न्यायपालिका, पुलिस और जागरूक समाज मिलकर महिला और बालिकाओं के प्रति हिंसा में कमी ला सकते है।