Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
माउंट आबू में स्थापित की गई थी प्रदेश की पहली नगरपालिका - Sabguru News
होम Headlines माउंट आबू में स्थापित की गई थी प्रदेश की पहली नगरपालिका

माउंट आबू में स्थापित की गई थी प्रदेश की पहली नगरपालिका

0
माउंट आबू में स्थापित की गई थी प्रदेश की पहली नगरपालिका

सबगुरु न्यूज। देश में शहरी निकाय की शुरूआत मद्रास में 1687 तथा राजस्थान के माउंट आबू में 1864 से हुई थी। राजस्थान के पर्यटन स्थल माउंट आबू में सबसे पहले नगरपालिका की स्थापना 1864 में हुई थी। सबसे पहले माउंट आबू में होने के बाद 1866 में अजमेर तथा 1867 में ब्यावर में नामित मंडलों की स्थापना की गई थी। वहीं जयपुर में स्थापना 1869 में की गई। झुंझुनूं में पहला नामित मंडल आजादी से पहले 1931 में स्थापित हुआ और उसका संचालन दादाबाड़ी से हुआ। वहीं पहले अध्यक्ष प्रेमनाथ दूत थे।

झुंझुनूं निकाय पर शोध करने वाले डॉ. कमल अग्रवाल ने बाया कि अंग्रेजी हुकूमत ने निकायों की स्थापना विदेशों में जिस काम से की थी। वो ही उद्देश्य भारत में लागू किए थे और कुल मिलाकर वो ही उद्देश्य अब तक लागू है। पहले भी सफाई, जल निकासी, शहर में रोशनी और विकास नामित मंडल का मकसद हुआ करता था और आज भी नगर निकायों का यही जिम्मा है।

यही व्यवस्था ग्रेट ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में आज भी चल रही है। लेकिन विदेशों में यह व्यवस्था भारत से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से चल रही है। 1970 से पहले निकायों को लेकर कोई स्पष्ट संविधान भी नहीं था और इन पर सरकार का नियंत्रण ज्यादा था। लेकिन 74वें संविधान संशोधन के बाद ना केवल एक व्यवस्था तय हुई। बल्कि निकायों को लेकर एक तस्वीर साफ हुई।

लेकिन इस संविधान संशोधन के कारण करीब 20-22 साल तक निकाय प्रशासकों के सहारे थी। संविधान संशोधन के बाद 1994 में चुनाव हुए। हालांकि चुनाव की प्रक्रिया 1959 में शुरू हो गई थी। लेकिन निकायों के कार्यकाल को लेकर कोई समय सीमा तय नहीं थीं। विशेषज्ञ मानते है कि 20 सालों तक निकाय मरणासन्न स्थिति में थी।

डॉॅ. कमल अग्रवाल ने बताया कि हालांकि आजादी से पहले प्रदेश में करीब 109 निकायों की स्थापना की जा चुकी थी और इनके नाम थे नामित मंडल। नामित मंडल में शहर के मौजिज व्यक्ति को अध्यक्ष मनोनीत किया जाता था और उनके साथ सात सदस्यों का सलाहकार मंडल होता था। जिसमें स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, थाने का दरोगा, चिकित्सक, स्कूल का संस्था प्रधान और अन्य मौजिज लोग। इनका पर्यवेक्षण तत्काली सरकार करती थी।

झुंझुनूं निकाय पर शोध करने वाले डॉ. कमल अग्रवाल की मानें तो जब उन्होंने इस विषय पर पांच सालों तक शोध किया तो कई बातें सामने आई। जिनमें साफ हुआ कि नामित मंडल का नाम ही बदलकर बाद में नगरपालिका, नगर परिषद और नगर निगम किया गया। चूंकि पहले मनोनयन पर ये मंडल चलते थे। इसलिए उसका नाम नामित मंडल था। इसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद इनके नाम भी बदल दिए गए।

नामित मंडलों में 1952 के बाद चुनावों की प्रक्रिया शुरू हुई। जिसका उल्लेख इतिहास में है। लेकिन इस दौरान भी सभी निकायों की बजाय कुछ निकायों में चुनाव और कुछ में गफलत वाली स्थिति थी। झुंझुनू में पहला चुनाव 1959 में हुआ और यहां से बनवारी लाल वैद्य अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1970 तक चुनाव हुए। वहीं 20-22 साल बाद चुनाव 1994 में फिर से शुरू हुए।